


दिल्ली में युवती के साथ हुई जघन्य वारदात ने एक बार फिर समाज को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में पुलिस ने करीब 30 किलोमीटर के दायरे में लगे 700 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की गहन छानबीन की, जिसके बाद आरोपी प्रभु का ऑटो कैमरों में कैद हो गया। इस सुराग की मदद से पुलिस ने तीनों आरोपियों तक अपनी पहुंच बनाई।
यह घटना 11 अक्तूबर को हुई, जब शराब का आदी प्रमोद उर्फ बाबू ने अपनी दुकान बंद की और शराब पीने लगा। उसने वहां एक लड़की को देखा और फिर एक दिव्यांग व्यक्ति मोहम्मद शमसुल भी वहां आ गया। दोनों ने मिलकर उस लड़की को जबरन सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दरिंदगी की। इस दौरान, वहां से गुजर रहे ऑटो चालक प्रभु महतो ने इस घटना को देखा और वह भी इस अपराध में शामिल हो गया। प्रभु महतो ने लड़की को अपने ऑटो में जबरन बिठाया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
इस मामले में ओडिशा की रहने वाली पीड़िता का राजघाट पर लगे सीसीटीवी कैमरों में ऑटो का फुटेज मिलने के बाद पुलिस को अहम सुराग मिला। ऑटो के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर पुलिस प्रभु महतो तक पहुंच गई। इसके बाद प्रमोद उर्फ बाबू और मोहम्मद शमसुल को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दक्षिण-पूर्व जिले के वाहन चोरी निरोधक दस्ते (एएटीएस) ने इस जघन्य अपराध की जांच में 21 दिनों में 700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले और 150 से ज्यादा ऑटो का सत्यापन किया।
- Advertisement -
पीड़िता का एम्स में इलाज जारी
इस घटना के बाद पीड़िता का इलाज एम्स अस्पताल में चल रहा है। पुलिस उपायुक्त रवि कुमार सिंह ने बताया कि पीड़िता अभी भी अस्पताल में भर्ती है और उसकी देखभाल के लिए महिला सिपाही संगीता और एक ओडिया नर्स को तैनात किया गया है।

पुलिस के पास शुरू में कोई पुख्ता सुराग नहीं था और पीड़िता भी घटना के स्थान व समय की जानकारी देने में असमर्थ थी। एसआई शुभम चौधरी ने 30 किलोमीटर के दायरे में सीसीटीवी फुटेज खंगालकर आखिरकार आरोपी प्रभु के ऑटो की पहचान की, जो उस समय कैमरों में कैद हुआ जब वह युवती को ऑटो से फेंक कर भाग रहा था।
दो महीने पहले दिल्ली आया था आरोपी
बिहार निवासी प्रभु महतो दो महीने पहले दिल्ली आया था और उसके सात बच्चे हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के अकबरपुर का निवासी प्रमोद उर्फ बाबू दिल्ली में तिलक ब्रिज रेलवे स्टेशन के पास कबाड़ की दुकान में काम करता था।
महिला सिपाही ने पीड़िता का विश्वास जीता
घटना के बाद पीड़िता की मानसिक स्थिति बेहद आहत थी और वह कुछ भी बताने में असमर्थ थी। महिला सिपाही संगीता ने उसकी देखभाल की और धीरे-धीरे उसका विश्वास जीतकर घटना के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त की। पीड़िता ने सिर्फ यह बताया कि एक ऑटो, तीन व्यक्ति और उनमें से एक शारीरिक रूप से दिव्यांग था।