


बीकानेर। राजस्थान के केन्द्र में स्थित महाभारत काल के नागौर में पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। वीरों के साथ संत महापुरुषों की भूमि नागौर पर नागवंश, चौहान, राठौड़, मुगल और यहां तक कि अंग्रेजों ने भी इस शहर पर कब्जा कर लिया था। नागौर के मेड़ता शहर में संत कवियित्री मीरां बाई व उनके आराध्य चारभुजानाथ का बेहतरीन मंदिर है तो नागौर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के मुख्य शिष्य सूफी संत हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह एवं बुलंद दरवाजा भी देखने योग्य है। लोक देवता वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में मकराना के उच्च गुणवत्ता वाले मार्बल से भव्य मंदिर बनाया जा रहा है तो गोठ मांगलोद में दाधीच ब्राह्मणों व डिडेल गौत्र के जाटों की कुलदेवी दधिमती माता का 2000 साल पुराना मंदिर है। उधर, जसनगर में प्राचीन शिव मंदिर अपने शिल्प व स्थापत्थ्य सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है तो नावां, परबतसर व डीडवाना उपखंड क्षेत्रों में भी देवी-देवता के प्राचीन मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं,आवश्यकता है तो बस उन्हें बुलाने की।
