


बीकानेर। 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा की गई। देशभर से 34 नामों में राजस्थान की 4 हस्तियां भी शामिल है। इसमें कला के क्षेत्र में जयपुर के 93 साल के धुव्रपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग, बीकानेर के मांड गायक अली मोहम्मद-गनी मोहम्मद और भीलवाड़ा के बहरूपिया कलाकार जानकी लाल के साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र में माया टंडन को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग का पूरा जीवन गायन के राग में निकल गया। उन्होंने अपने बेटे रविशंकर और बेटियों शोभा, उषा, निशा, मधु, पूनम और आरती को संगीत की गहन शिक्षा प्रदान की और उन्हें अलग-अलग विधाओं में पारंगत बनाया। साल 1928 पंडित गोकुल चन्द्र भट्ट के घर पंडित लक्ष्मण भट्ट का जन्म हुआ था। पंडित गोकुल चन्द्र भट्ट ध्रुवपद संकीर्तन हवेली संगीत के पुरोधा गायक रहे हैं।
लक्ष्मण भट्ट तैलंग की बेटी राजस्थान की सुप्रसिद्ध पहली महिला ध्रुवपद गायिका हैं। प्रो. मधु भट्ट तैलंग ने बताया कि बचपन में ही ये अपने पिताजी गोकुल चन्द्र भट्ट और बाबा गोपाल भट्ट के साथ जबलपुर चले गए। इनके पिताजी ने ‘कलियुग धर्म’ नाम से पुस्तक लिखी, जिसका मूल्य एक आना था। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण छोटी उम्र में ही इन्होंने सड़क पर बैठ कर पिताजी की लिखी किताब बेचने का काम किया।
बीकानेर से ताल्लुक रखते हैं उस्ताद अली-गनी उस्ताद अली-गनी बीकानेर के तेजरासर गांव के रहने वाले दो भाइयों की जोड़ी है। उन्होंने सुगम संगीत के शोबे में गजल संगीत के साथ मांड गायकी को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सतह पर सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाया है। उन्होंने भारत के मशहूर गजल गायकों के लिए यादगार संगीत रचने के साथ-साथ कई फिल्मों के लिए भी संगीत भी दिया है। साथ ही दोनों की जोड़ी ने पंकज उधास, मनहर उधास, अनूप जलोटा, रूपकुमार राठौड़ के लिए प्रसिद्ध गजलें संगीतबद्ध की है।
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28 साल पहले शुरू किया इमरजेंसी मेडिकल केयर पर एनजीओ

जयपुर की माया टंडन को समाज सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा हुई है। ये जेके लॉन हॉस्पिटल की रिटायर सुपरिटेंडेंट हैं। इन्होंने 28 साल पहले सहायता के नाम से एनजीओ शुरू किया था। इसके तहत ये लोगों को रोड सेफ्टी को लेकर जागरूक करती हैं। इमरजेंसी मेडिकल केयर को लेकर लोगों को ट्रेनिंग देती हैं।
उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना में अक्सर लोगों को इमरजेंसी मेडिकल केयर नहीं मिल पाती है। ऐसे में कई जानें बच नहीं पाती, इसलिए हमने लोगों को यह सिखाना शुरू किया कि दुर्घटना होने पर मरीजों को किस तरह रखना चाहिए। उसे तुरंत कैसे ट्रीट करना चाहिए और मेडिकल सुविधा कैसे दिलवानी चाहिए।
भीलवाड़ा के जानकी लाल को पद्मश्री अवॉर्ड 83 साल के जानकी लाल बहरुपिया कला के जाने-माने कलाकार हैं। इन्हें बहरूपिया कला विरासत में मिली है। उनके दादा कालूलाल और पिता हजारी लाल इस कला का प्रदर्शन किया करते थे और इसी से पारिवार का पालन पोषण भी होता था। जानकी लाल बीते 65 साल से कई प्रकार की वेशभूषा पहनकर बहरूपिया कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
वह गाडोलिया लुहार, कालबेलिया, काबुली पठान, ईरानी, फकीर, राजा, नारद, भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, साधु, दूल्हा-दुल्हन समेत अन्य स्वांग रचाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। वह मेवाड़ी, राजस्थानी, पंजाबी और पठानी भाषा भी बेखूबी बोल लेते हैं।