


कम उम्र में बढ़ते हार्ट अटैक मामलों की बड़ी वजह है असंतुलित जीवनशैली
भारत में बीते कुछ वर्षों में हार्ट अटैक के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। पहले जहां हृदय रोगों को उम्रदराज़ लोगों से जोड़ा जाता था, वहीं अब यह खतरा युवाओं और यहां तक कि बच्चों तक पहुंच चुका है। कोविड महामारी के बाद इस समस्या में और तेजी आई है। एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की हालिया मौत ने फिर से इस विषय को चर्चा में ला दिया है। शेफाली महज 42 वर्ष की थीं और नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार लेती थीं, इसके बावजूद अचानक हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल खानपान और व्यायाम ही नहीं, बल्कि एक संतुलित और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाना भी हृदय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। आइए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखकर दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है:
1. धूम्रपान और शराब से दूरी रखें
धूम्रपान और नियमित शराब सेवन हृदय पर सीधा असर डालते हैं। ये रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं और हृदय को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।
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2. संतुलित और पोषक आहार लें
जंक फूड, तले हुए पदार्थ, पैकेज्ड फूड और अधिक वसा वाला खाना हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं। फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, नट्स और मछली जैसे पौष्टिक आहार को दिनचर्या में शामिल करना जरूरी है।
3. नियमित व्यायाम करें
हफ्ते में कम से कम 150 मिनट हल्का एरोबिक या 75 मिनट तीव्र एरोबिक व्यायाम करना लाभकारी होता है। इससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय की कार्यक्षमता बेहतर होती है।
4. वजन नियंत्रण में रखें
मोटापा न केवल डायबिटीज़ और हाई बीपी का कारण बनता है बल्कि यह हृदय पर सीधा असर डालता है। उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI) हृदय रोगों के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।
5. तनाव से बचाव करें
लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव हृदय पर गहरा असर डालता है। यह कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन को बढ़ाता है, जिससे रक्तचाप और हृदय पर दबाव बढ़ता है। लगातार तनाव हृदय रोग के जोखिम को 60% तक बढ़ा सकता है।

तीन सालों में तेजी से बढ़े मामले
2020 से 2023 तक भारत में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी आई है। अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार, 50% हार्ट अटैक के मरीज 40 वर्ष से कम आयु के हैं। साल 2022 में इस कारण होने वाली मौतों में 12.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
महत्वपूर्ण आंकड़े
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2015 में भारत में 6.3 करोड़ लोग दिल की बीमारियों से ग्रसित थे, जिनमें 2.3 करोड़ की उम्र 40 से कम थी।
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2016 में देश में हर 100 में से 28 मौतें हृदय संबंधी बीमारियों के कारण हुईं।
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1990 में यह आंकड़ा केवल 15.2% था, जो 2016 तक लगभग दोगुना हो गया।
निष्कर्ष
आज के समय में हार्ट अटैक सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी नहीं, बल्कि यह हमारी दिनचर्या, आदतों और मानसिक स्थिति से गहराई से जुड़ा हुआ विषय बन चुका है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित जीवनशैली, मानसिक शांति, शारीरिक सक्रियता और पौष्टिक आहार को अपनाना अब केवल विकल्प नहीं, आवश्यकता बन चुका है।