

राजस्थान में बंद हुई विद्या संबल योजना, अब कॉलेजों में कांट्रेक्ट पर भरेंगे पद
राजस्थान कॉलेज शिक्षा सोसायटी के अधीन आने वाले 335 कॉलेजों में अब विद्या संबल योजना के तहत अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति बंद कर दी जाएगी। राज्य सरकार अब इन कॉलेजों में पांच साल के कांट्रेक्ट पर सहायक आचार्य नियुक्त करेगी। इनकी भर्ती राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा परीक्षा के माध्यम से की जाएगी।
सहायक आचार्य को एक तय वेतन पर नियुक्त किया जाएगा, जो फिलहाल 28 हजार रुपये प्रति माह प्रस्तावित है। यह वेतन यूजीसी गाइडलाइन से काफी कम है, जिसके अनुसार संविदा सहायक आचार्य को न्यूनतम ₹57,700 प्रतिमाह मिलना चाहिए।
3437 पदों पर होगी भर्ती
प्रदेश के 335 कॉलेजों में सहायक आचार्यों के कुल 3437 स्वीकृत पद हैं। वर्तमान में कांग्रेस सरकार द्वारा लाई गई विद्या संबल योजना के तहत कालांश आधारित भुगतान पर अस्थायी शिक्षक नियुक्त हैं। नई नीति के तहत पांच साल के अनुबंध के बाद कॉलेज प्राचार्य हर तीन साल के लिए सेवा बढ़ा सकेंगे, अधिकतम आयु 60 वर्ष तक।
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गुजरात मॉडल को बनाया आधार
सरकार अब गुजरात मॉडल को अपनाने की तैयारी में है, जहां यूजीसी मानदंडों के अनुसार भुगतान किया जाता है। हालांकि राजस्थान में वेतन केवल ₹28,000 प्रस्तावित है, जिससे असंतोष की संभावना है।

शिक्षक संघ की आपत्ति
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री बनय सिंह ने कहा है कि योजना छात्रहित में हो सकती है, लेकिन यदि यूजीसी नियमों के अनुसार वेतनमान लागू नहीं किया गया, तो यह योजना सफल नहीं होगी। अन्य राज्यों की तर्ज पर वेतनमान तय किया जाना चाहिए।
यूजीसी के नियम क्या कहते हैं?
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार गेस्ट फैकल्टी को प्रति लेक्चर ₹1500 या अधिकतम ₹50,000 प्रतिमाह दिया जाना चाहिए। संविदा पर लगे सहायक आचार्य को न्यूनतम ₹57,700 वेतन देना अनिवार्य है।
वर्तमान वेतन विसंगतियां
फिलहाल राजस्थान में संविदा सहायक आचार्य को ₹50,000 मासिक वेतन और उच्च न्यायालय के आदेशानुसार डीए दिया जा रहा है, जबकि प्रस्तावित योजना के अंतर्गत उन्हें केवल ₹28,000 मासिक वेतन मिलेगा। हरियाणा और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में यह वेतनमान पहले ही यूजीसी गाइडलाइन के अनुरूप लागू किया जा चुका है और विधिवत विधानसभा में प्रस्तुत भी किया गया है।