

राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड ब्लॉक के 11 जनजाति बहुल गांवों में शराब के खिलाफ समाज ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। गरासिया समाज ने न केवल शराब पीने बल्कि बेचने को भी अपराध घोषित करते हुए पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया है।
समाज के पंच-पटेलों और गरासिया समाज विकास सेवा समिति की पहल पर यह बदलाव संभव हो पाया है। समिति में वकील, सरपंच, शिक्षित युवा और समाजसेवी सक्रिय रूप से जुड़े हैं, जो लगातार बैठकों के माध्यम से लोगों को नशे के दुष्परिणाम समझा रहे हैं।
समाज का मानना है कि शराब के कारण अपराध, सड़क दुर्घटनाएं, पारिवारिक विवाद और बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसी को देखते हुए बहादुरपुरा, मुदरला, उपलाखेजड़ा, निचलाखेजड़ा, पाबा, रणोरा, दानबोर, भमरिया, बूजा, उपलागढ़ और चंडेला गांवों में शराब को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इन गांवों में न केवल शराब की दुकानें नहीं हैं, बल्कि शराब पीकर शोरगुल करने (तैर) पर भी आर्थिक दंड लगाया जाता है। बहादुरपुरा गांव में तो इस तरह की हरकत पर तुरंत जुर्माना वसूला जाता है।
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समाज ने यह भी तय किया है कि शराब बेचने वाले व्यक्ति पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। उसे एक-दो बार सुधारने का मौका दिया जाता है, लेकिन अगर वह नहीं मानता, तो समाज उसका बहिष्कार कर देता है।
गरासिया समाज के जिलाध्यक्ष नरसाराम का कहना है कि समाजहित में यह निर्णय लिया गया है और यदि अन्य गांव भी इसी राह पर चलें, तो आदिवासी युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। पंचायत समिति के सदस्य देवाराम गरासिया ने कहा कि यदि सभी गांवों में शराबबंदी लागू हो जाए, तो बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में आने से बच सकेंगे।
यह पहल न केवल समाज सुधार की दिशा में उदाहरण बन रही है, बल्कि सरकार के लिए भी एक प्रेरणा है कि जनजागृति और सामूहिक इच्छाशक्ति से सामाजिक बुराइयों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।