जयपुर/बीकानेर:
राजस्थान के स्कूलों में अब विद्यार्थियों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड कागजों पर नहीं, बल्कि डिजिटल रूप में “शाला दर्पण पोर्टल” पर सुरक्षित रहेगा। निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीताराम जाट ने राज्य के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि बच्चों की स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट अब निर्धारित प्रारूप में पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
यह पहल शिक्षा विभाग की ‘शाला स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों की सेहत पर निरंतर निगरानी रखना और जरूरतमंद बच्चों को समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना है।
अब तक 75 लाख विद्यार्थियों की जांच पूरी
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक राज्यभर में करीब 75 लाख विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है। परीक्षण के दौरान बच्चों की आंखों, दांतों, हड्डियों, पोषण स्तर और सामान्य स्वास्थ्य से जुड़े 70 से अधिक मापदंडों की जांच की गई।
जांच में पाया गया कि करीब 47 हजार विद्यार्थी दृष्टि कमजोर होने की समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें अधिकतर प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के छात्र हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या मुख्यतः खराब पोषण, आनुवंशिक कारणों और अत्यधिक स्क्रीन टाइम के चलते बढ़ रही है।
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कमजोर दृष्टि वाले बच्चों को मिलेंगे नि:शुल्क चश्मे
शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि जिन विद्यार्थियों की दृष्टि कमजोर पाई गई है, उन्हें नि:शुल्क चश्मे उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए विभाग को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग मिलेगा।
निदेशक सीताराम जाट ने बताया कि यह योजना विद्यार्थियों के समग्र विकास के साथ-साथ सरकार की “स्वस्थ विद्यार्थी, मजबूत राष्ट्र” की नीति को भी सशक्त बनाएगी।
डेटा रहेगा पारदर्शी और रियल टाइम
निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक स्वास्थ्य परीक्षण के बाद रिपोर्ट को निर्धारित समय सीमा में शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड किया जाए। इससे विभाग के पास रियल टाइम डेटा उपलब्ध रहेगा और किसी भी छात्र की स्वास्थ्य स्थिति पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
बच्चों की कमजोर दृष्टि के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, आजकल बच्चों में नजर कमजोर होने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
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अत्यधिक मोबाइल, टीवी और लैपटॉप स्क्रीन टाइम
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विटामिन A की कमी और असंतुलित आहार
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शारीरिक गतिविधियों और बाहर खेलने का अभाव
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अनुवांशिक कारण और नेत्र रोग जैसे एम्ब्लायोपिया या स्ट्रैबिस्मस
डॉक्टरों की सलाह है कि अभिभावक बच्चों को हर 20-30 मिनट में स्क्रीन से ब्रेक लेने, पौष्टिक भोजन करने और प्राकृतिक रोशनी में अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करें।
