राजस्थान में हज़ारों पंचायतों में पट्टा वितरण की नई व्यवस्था, प्रशासक बनकर लौटे सरपंच
जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनाव की प्रतीक्षा कर रहे हज़ारों गांवों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है। राज्य सरकार ने कार्यकाल पूरा कर चुके सरपंचों और पंचों को पट्टा वितरण की जिम्मेदारी सौंप दी है। अब ये पूर्व जनप्रतिनिधि प्रशासक और प्रशासकीय समिति के रूप में काम करेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय पट्टे बांटने का अधिकार रखेंगे।
पंचायतीराज विभाग की ओर से जारी हुई चिट्ठी
राज्य के पंचायतीराज आयुक्त और सचिव जोगाराम ने इस संबंध में सभी जिला परिषदों को एक आधिकारिक निर्देश पत्र (चिट्ठी) भेजा है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि राजस्थान पंचायती राज अधिनियम-1994 और नियम-1996 के तहत जो अधिकार निर्वाचित सरपंचों को थे, वे ही अब प्रशासक सरपंच और प्रशासकीय समिति को दिए गए हैं।
क्या है नई व्यवस्था?
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जिन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनमें निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया है।
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निवर्तमान उप सरपंच और वार्ड पंचों को प्रशासकीय समिति का सदस्य बनाया गया है।
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यह समिति अब पट्टा वितरण, विकास कार्यों की निगरानी और बैठकों के संचालन जैसे कार्य करेगी।
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प्रशासक (पूर्व सरपंच) को समिति की बैठक बुलाकर प्रस्ताव पारित कर पट्टे देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा।
सरकारी अभियान से जुड़कर बंटेंगे पट्टे
राज्य सरकार ने गांवों और शहरों में आवासीय पट्टा वितरण अभियान शुरू किया है। इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों में पट्टे बांटने की प्रक्रिया में अब सरपंच-पंच कमेटियों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य है कि पट्टा वितरण की गति बनी रहे और प्रशासनिक कामकाज में रिक्त पदों के चलते कोई रुकावट न आए।
11 हजार से ज्यादा पंचायतें होंगी प्रभावित
राजस्थान में वर्तमान में 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में यह फैसला सीधे तौर पर लाखों ग्रामीणों को प्रभावित करेगा, जो वर्षों से पट्टा पाने की प्रतीक्षा में हैं।
विशेषज्ञों की राय
पंचायती राज विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था स्थानीय स्तर पर निर्णय की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम है, लेकिन इस पर कड़ी निगरानी और जवाबदेही तय करना भी उतना ही आवश्यक होगा।