


परिवार की अवधारणा पर शीर्ष अदालत की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त परिवारों के खत्म होने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि भारत, जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत में विश्वास करता है, आज अपने ही परिवारों में एकता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। अदालत ने कहा कि परिवार की अवधारणा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है और समाज ‘एक व्यक्ति-एक परिवार’ की ओर बढ़ रहा है।
यूपी की समतोला देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की 68 वर्षीय समतोला देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। समतोला देवी ने अपने सबसे बड़े बेटे कृष्ण कुमार को पारिवारिक घर से बेदखल करने की मांग की थी। मामला तब शुरू हुआ जब 2014 में उनके पति कल्लू मल ने कृष्ण कुमार पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। बाद में, माता-पिता ने 2017 में भरण-पोषण की मांग की, जिसे पारिवारिक अदालत ने 8000 रुपये प्रति माह मंजूर किया।
बेटे को बेदखल करने की अपील खारिज
2019 में माता-पिता ने बेटे कृष्ण कुमार को घर से निकालने की अर्जी दी, लेकिन न्यायाधिकरण ने सिर्फ यह आदेश दिया कि वह माता-पिता की अनुमति के बिना घर के किसी हिस्से पर कब्जा न करे। अपीलीय न्यायाधिकरण ने बाद में कृष्ण कुमार को बेदखल करने का आदेश दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि कृष्ण कुमार को बेदखल करना उचित नहीं होगा, क्योंकि उनके माता-पिता को अपमानित करने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

संपत्ति का स्वामित्व बदलने पर बेदखली का अधिकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कल्लू मल ने संपत्ति अपनी बेटियों और दामाद को सौंप दी थी, तो अब वे इसके मालिक नहीं रहे। ऐसे में, उनके पास किसी भी व्यक्ति को घर से निकालने का अधिकार नहीं बचता। अदालत के अनुसार, वरिष्ठ नागरिक अधिनियम में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी वरिष्ठ नागरिक को अपनी पूर्व-स्वामित्व वाली संपत्ति से किसी को बेदखल करने का विशेष अधिकार देता हो।
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निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि पारिवारिक विवादों में केवल आरोपों के आधार पर संपत्ति से बेदखली संभव नहीं है। अदालत ने पारिवारिक एकता की गिरती स्थिति पर चिंता जताई और इस बात को रेखांकित किया कि भारत जैसे देश, जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में विश्वास रखते हैं, में परिवारों को टूटने से बचाने की जरूरत है।