

कर अधिकारियों ने देश में चल रहे फर्जी पंजीकरण के खिलाफ अभियान में बड़ी सफलता हासिल की है। इस अभियान के तहत 73,000 जीएसटी नंबरों का सत्यापन किया गया, जिनमें से लगभग 18,000 फर्जी पाए गए। ये फर्जी कंपनियां लगभग 24,550 करोड़ रुपये की कर चोरी में शामिल थीं, जो ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (आईटीसी) का गलत लाभ उठाकर सरकारी खजाने को चूना लगा रही थीं।
जीएसटी विभाग ने बताया कि हाल ही में चले दूसरे राष्ट्रव्यापी अभियान में 16 अगस्त से अक्टूबर के अंत तक इन फर्जी पंजीकरणों की जांच की गई। कर अधिकारियों ने कहा, “हमने सत्यापन के लिए 73,000 जीएसटीआईएन की पहचान की थी। इनमें से 18,000 कंपनियां केवल कागज पर अस्तित्व में थीं और इनका मकसद केवल आईटीसी का लाभ उठाना था।”
इस विशेष अभियान के दौरान कंपनियों द्वारा लगभग 70 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक जीएसटी भुगतान किया गया। सरकार अब फर्जी पंजीकरणों को समाप्त करने के लिए कठोर कार्रवाई कर रही है और व्यापक भौतिक सत्यापन भी कर रही है।

पिछले साल भी इसी प्रकार का अभियान 16 मई से 15 जुलाई के बीच चलाया गया था, जिसमें 21,791 फर्जी जीएसटी पंजीकरण का पता चला था। उस अभियान में 24,010 करोड़ रुपये की कर चोरी की आशंका जताई गई थी।
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अधिकारियों के अनुसार, इन फर्जी पंजीकरणों के कारण सरकार को भारी नुकसान हुआ है और इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रणाली का दुरुपयोग किया गया है।