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जयपुरराजस्थान

राजस्थान में कांग्रेस के 90 से ज्यादा मंत्री-विधायकों के कटेंगे टिकट, किस सीट पर नए चेहरों की तलाश

editor
editor Published April 22, 2023
Last updated: 2023/04/22 at 2:39 PM
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जयपुर। चुनावी साल में कांग्रेस ने 200 विधानसभा सीटों पर राजस्थान से बाहर की एक एजेंसी से सर्वे कराया था। सर्वे के नतीजे कई मंत्रियों और विधायकों की नींद उड़ाने वाले हैं। सर्वे का सार है कि यदि इन्हें दोबारा टिकट दिए तो हार लगभग तय है।
सर्वे में 50 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री-विधायकों को लेकर एंटी इंकंबेंसी सामने आई है। खुद प्रभारी रंधावा ने वन-टू-वन में मंत्री-विधायकों से साफ शब्दों में कहा कि आप जीत नहीं पाएंगे। हालांकि सर्वे में सरकार के स्तर पर एंटी इंकंबेंसी की स्थिति खतरनाक स्तर पर नहीं मिली है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने हाल ही में विधायकों का सर्वे करवाया है। कांग्रेस की फीडबैक मीटिंग के बाद से ये चर्चाएं चल रही हैं…आखिर ये सर्वे क्या है? इस सर्वे के रिजल्ट क्या हैं?
कब हुआ सर्वे
पिछले डेढ़ माह से सर्वे चल रहा था। प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर सर्वे हुआ है। सर्वे में अलग-अलग नतीजे आए हैं-निगेटिव भी और पॉजिटिव भी। सबसे ज्यादा चिंता सर्वे में मौजूदा मंत्रियों और विधायकों को लेकर सामने आई है।
अचानक तय हुए विधायकों के वन-टू-वन के पीछे भी यही सर्वे मुख्य कारण है। सर्वे के नतीजे आने के बाद प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और सीएम गहलोत ने 17 अप्रैल से 20 अप्रैल तक विधायकों से वन-टू-वन बात की।
वन-टू-वन बातचीत में क्या हुआ?
जिन विधायकों की सर्वे में स्थिति खराब : उनको वन-टू-वन के दौरान प्रभारी रंधावा ने साफ कह दिया कि आपकी स्थिति खराब है, आप दोबारा नहीं जीतोगे। किसी प्रभारी का इस तरह मंत्री-विधायकों को बोल देना चौंकाने वाला रहा। खुद सीएम गहलोत ने 19 अप्रैल को बिड़ला ऑडिटोरियम की मीटिंग में कहा- मैंने कई प्रभारी देखे, लेकिन रंधावा पहले प्रभारी हैं, जो विधायकों को साफ कह रहे हैं कि आप जीत नहीं पाएंगे। कांग्रेस के एक कैबिनेट मंत्री का कहना है कि वन टू वन का मकसद यही है कि समय रहते सर्वे के नतीजों के आधार पर विधायकों को चेता दें ताकि वे अपनी स्थिति में सुधार कर लें। जिनकी क्षेत्र में बहुत ज्यादा स्थिति खराब है, उनको कहा जा रहा है कि आपको टिकट दिया जाता है तो आप जीत नहीं पाएंगे। इस कवायद का एक ही मैसेज है कि विधायकों को टटोलना और अपनी तरफ से मैसेज देना कि सुधार करने की जरूरत है।
जिनकी स्थिति ठीक-ठाक : ऐसे विधायकों को और मेहनत करने के लिए कहा गया है।
बॉर्डर लाइन पर खड़े विधायक : ऐसे विधायकों को रंधावा और सीएम की तरफ से पूछा भी गया है कि सरकार के स्तर पर उनके क्षेत्र में और क्या करना चाहिए? मसलन कोई विकास का काम या कोई ऐसा प्रोजेक्ट जिसे लागू करने से किसी पर्टिकुलर इलाके में कांग्रेस की स्थिति बेहतर की जा सके।
सीएम गहलोत ने 19 अप्रैल को बिड़ला ऑडिटोरियम की मीटिंग में कहा- मैंने कई प्रभारी देखे लेकिन रंधावा पहले प्रभारी हैं, जो विधायकों को साफ कह रहे हैं कि आप जीत नहीं पाएंगे।
सीएम गहलोत ने 19 अप्रैल को बिड़ला ऑडिटोरियम की मीटिंग में कहा- मैंने कई प्रभारी देखे लेकिन रंधावा पहले प्रभारी हैं, जो विधायकों को साफ कह रहे हैं कि आप जीत नहीं पाएंगे।
सर्वे के बाद अब कांग्रेस की रणनीति में बड़ा बदलाव
सर्वे में सभी विधानसभा सीटों की स्थिति का पता चलने के बाद अब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति में बड़े बदलाव किए हैं, जो आने वाले दिनों में ग्राउंड पर दिखने शुरू होंगे। कांग्रेस चुनाव रणनीति के तहत कमजोर सीटों पर नए चेहरों को उतारेगी।
वहीं, जातिगत आधार वाली सीटों पर बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर वहां चुनाव जीतने लायक चेहरों की तलाश की जाएगी। साथ ही जिन सीटों पर अभी गुटबाजी के हालात है, उनसे निपटने के लिए बीच का रास्ता निकालने की रणनीति पर काम किया जाएगा।
93 कमजोर सीटों पर अभी से चेहरों की तलाश शुरू
प्रदेश में कांग्रेस 93 सीटों पर खुद को कमजोर मान रही है। इनमें 52 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस 2008, 2013 और 2018 में हुए पिछले तीन चुनाव लगातार हारी है। वहीं 41 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस 2008 में जीती लेकिन उसके बाद 2013 और 2018 के चुनाव में हारी।
इन सीटों पर कांग्रेस का नए चेहरों पर जोर रहेगा। ज्यादा फोकस सेलिब्रिटीज पर रहेगा। इनमें खिलाड़ी से लेकर ऐसे चेहरे होंगे जो अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय और जो पॉपुलर हों।
कांग्रेस के लिए एक और बड़ी चुनौती ये भी है कि विधानसभा चुनाव सिर पर है और गहलोत-पायलट का विवाद अभी भी अनसुलझा है।
कांग्रेस के लिए एक और बड़ी चुनौती ये भी है कि विधानसभा चुनाव सिर पर है और गहलोत-पायलट का विवाद अभी भी अनसुलझा है।
यहां पिछले 3 चुनाव में हार
गंगानगर, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, फुलेरा, विद्याधरनगर, मालवीयनगर, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़बास, बहरोड, थानागाजी, अलवर शहर, नगर। नदबई, धौलपुर, महुआ, गंगापुरसिटी, मालपुरा, अजमेर नोर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, जैतारण, सोजत, पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, भोपालगढ़, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, कुशलगढ़, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा। बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन और खानपुर सीट शामिल है। ये वो सीटें हैं, जहां कांग्रेस पिछले 3 चुनावों से हार रही है।
यहां पिछले 2 चुनावों में हार
सूरतगढ़, रायसिंहनगर, सांगरिया, पीलीबंगा, लूणकरणसर, श्री डूंगरगढ़, चुरू, सूरजगढ़, मंडावा, चौमूं, दूदू, आमेर, तिजारा, मुंडावर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलौदी, अहोर, जालोर, रानीवाड़ा। पिंडवाड़ा–आबू, गोगूंदा, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूंबर, धरियावद, आसपुर, सागवाड़ा, चौरासी, गढ़ी, कपासन, चित्तौडग़ढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, शाहपुरा, मांडलगढ़, केशोरायपाटन, छबड़ा, डग और मनोहरथाना। ये वो सीटें हैं, जहां कांग्रेस 2008 में जीती, लेकिन 2013 और 2018 के चुनाव में हार गई।
कास्टवाइज बड़े इन्फ्लूंएसर्स को फील्ड में उतारा जाएगा
एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कांग्रेस जातिगत आधार रखने वाले प्रभावशाली नेताओं को फील्ड में उतारेगी। कास्ट वाइज समीकरणों को साधने के लिए ये नेता फील्ड में ऐसे चेहरों की तलाश करेंगे जो वहां प्रभाव रखते हैं। ऐसे चेहरों को चुनाव में उतारा जाएगा, जिनकी छवि साफ हो। हाल ही वन-टू-वन के दौरान विधायकों से मिले फीडबैक के आधार पर इन नेताओं को अलग-अलग सीटों पर काम करने के लिए लगाया जाएगा।
पिछले पांच चुनाव से सबक, मौजूदा मंत्री-विधायकों में ज्यादातर के कटेंगे टिकट
पिछले पांच चुनावों में राजस्थान में यह ट्रेंड रहा है कि जो पार्टी सत्ता में रहती है, वह चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो जाती है। एक बार कांग्रेस, एक बार भाजपा के इस ट्रेंड को इस बार कांग्रेस बदलना चाहती है।
सीएम गहलोत ने बजट में फ्री सुविधाओं को लेकर ऐसी घोषणाएं की हैं, जिनके दम पर वह बार–बार सरकार रिपीट करने की बात कहते हैं। यह भी सच है कि अकेले बजट घोषणाओं और योजनाओं के भरोसे सरकार को रिपीट करना आसान नहीं है।
यही वजह है कि इस बार कांग्रेस सर्वे पर फोकस कर रही है। असल में कांग्रेस अपनी पिछली सरकारों के हश्र को ध्यान में रखते हुए हर बार सत्ता बदल जाने के ट्रेंड से सबक लेते हुए इस बार मौजूदा मंत्री- विधायकों में से ज्यादातर के टिकट काटेगी। सर्वे में जिन विधायकों और पिछली बार चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों की स्थिति खराब आई है, उनके टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा।


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