TRAI के नाम पर नई साइबर ठगी, राजस्थान में ठगों का नया पैंतरा उजागर
जयपुर: राजस्थान में साइबर ठगों ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के नाम का दुरुपयोग करते हुए ठगी के नए तरीके इजाद कर लिए हैं। ये ठग अब लोगों को मोबाइल टावर लगाने, कॉल-डेटा चेकिंग और यहां तक कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे फर्जी मामलों में उलझाकर लाखों रुपये हड़प रहे हैं।
TRAI ने खुद इस संबंध में चेतावनी जारी की है और लोगों से कहा है कि वे किसी भी अज्ञात कॉल या ई-मेल पर भरोसा न करें और न ही अपने दस्तावेज़ साझा करें।
कैसे कर रहे हैं ठग लोगों को शिकार
1. मोबाइल टावर के नाम पर झांसा
ठग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कॉल कर रहे हैं और खुद को TRAI अथवा किसी नामी कंपनी का अधिकारी बताकर मोबाइल टावर लगाने का प्रस्ताव दे रहे हैं। वे हर महीने मोटा किराया देने की बात कहकर लोगों को आकर्षित करते हैं। इसके बाद “रजिस्ट्रेशन फीस” या “सिक्योरिटी डिपॉजिट” के नाम पर हजारों रुपये ऐंठ लेते हैं। फर्जी लेटरहेड, पहचान पत्र और अप्रूवल पेपर्स भी दिखाए जा रहे हैं।
2. फर्जी कॉल-ट्रेसिंग और ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर
कुछ मामलों में साइबर ठग खुद को TRAI या पुलिस अधिकारी बताकर कॉल करते हैं और दावा करते हैं कि संबंधित व्यक्ति ने किसी अन्य के पैसे ठगे हैं। वे एआई टूल्स के ज़रिए वास्तविक दिखने वाले कॉल डेटा और मैसेज पेश करते हैं। इसके बाद धमकी दी जाती है कि सिम कार्ड बंद कर दिया जाएगा या डिजिटल गिरफ्तारी की जाएगी। डराकर पैसे वसूले जाते हैं।
राजस्थान में सामने आए मामले
मामला 1 – सीकर:
कौशल किशोर मौर्य को टावर लगाने के नाम पर फोन आया। कॉलर ने खुद को कंपनी का अधिकारी बताया और फर्जी पहचान पत्र भी भेजा। हर महीने 25,000 रुपये किराया देने की बात कही गई। लेकिन रजिस्ट्रेशन के नाम पर 25,000 रुपये ठग लिए।
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मामला 2 – चित्तौड़गढ़:
कन्हैयालाल नामक व्यक्ति को दो लोगों ने कॉल कर खुद को TRAI अधिकारी बताया। उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल की कॉल ट्रेस हुई है जिसमें पैसे ठगने की बात सामने आई है। उन्हें एआई के जरिए तैयार किया गया फर्जी डेटा दिखाया गया और धमकी दी गई कि उनका सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा। ठगों ने 50,000 रुपये वसूल लिए।
TRAI की चेतावनी और सलाह
TRAI ने स्पष्ट किया है कि:
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वह मोबाइल टावर लगाने के लिए कॉल या संपर्क नहीं करता।
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TRAI कभी भी आधार नंबर, बैंक डिटेल्स या OTP नहीं मांगता।
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किसी भी संदिग्ध कॉल, SMS या ई-मेल पर तुरंत स्थानीय TRAI कार्यालय या उनकी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से पुष्टि करें।
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किसी अज्ञात खाते में पैसे ट्रांसफर न करें, भले ही सामने वाला खुद को कोई वरिष्ठ अधिकारी ही क्यों न बताए।
कैसे बचें ऐसी ठगी से
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आधिकारिक जानकारी की पुष्टि करें – कोई भी ऑफर या धमकी भरा कॉल आने पर सीधे TRAI की वेबसाइट से सूचना जांचें।
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बैंक या निजी जानकारी साझा न करें – OTP, अकाउंट नंबर या पर्सनल डॉक्यूमेंट भेजने से बचें।
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फर्जी लिंक से बचें – किसी भी SMS या ईमेल में मिले लिंक पर क्लिक न करें, जब तक उसकी पुष्टि न हो जाए।
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पुलिस या साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करें – अगर आपने ठगी का शिकार होते हुए संदेह जताया है या पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं, तो तुरंत साइबर सेल में शिकायत करें।
निष्कर्ष: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
TRAI के नाम पर फैलाई जा रही इस नई साइबर ठगी से बचने का एक ही तरीका है — सावधानी और सतर्कता। किसी भी अनजाने प्रस्ताव या धमकी भरे कॉल से घबराएं नहीं, बल्कि तथ्यों की जांच करें और सही माध्यम से शिकायत दर्ज कराएं। सरकार और एजेंसियों की ओर से भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रोक लग सके।