


कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानून ‘भारतीय न्याय संहिता’,’भारत सुरक्षा संहिता’ और ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ एक जुलाई 2024 से लागू होंगे। ये कानून पिछले साल 25 दिसंबर को अधिसूचित किए गए थे।
मेघवाल ने कहा, भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) बदल रहे हैं। उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए और भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए तीनों को कानूनों को बदला गया है। उन्होंने कहा, एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से तीन कानून लागू किए जाएंगे। इन तीन नए कानूनों के लिए सभी राज्यों में प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) इसके लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा, हमारी न्यायिक अकादमियां, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय भी इसके लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। सब कुछ साथ-साथ चल रहा है और एक जुलाई से ये तीनों कानून देश में लागू हो जाएंगे। ये कानून आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं।

खासतौर पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत अपराध की प्रकृति के आधार पर पुलिस हिरासत को पंद्रह दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं (आईपीसी में 511 धाराओं की जगह) होंगी। इस अधिनियम में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और उनमें से 33 की सजा बढ़ा दी गई है। 83 अफराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा तय की गई है। 19 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है या हटा दिया गया है।
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं (सीआऱपीसी की 484 धाराओं की जगह) होंगी। अधिनियम में कुल 177 प्रावधानों में बदलाव किया गया है और इसमें नौ नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं।