


शिक्षक भर्ती परीक्षा में कैंडिडेट्स ज्यादा मार्क्स लाकर अपने गृह जिले में रहने का प्रयास करता है लेकिन शिक्षा विभाग के नियम कायदों के चलते ज्यादा मार्क्स लाना नुकसान का काम है। वर्ष 2022 की शिक्षक भर्ती परीक्षा के कैंडिडेट्स के लिए तो ऐसा ही हुआ है। ज्यादा मार्क्स लाने वाले अपने शहर से दूर लगे हैं, जबकि कम मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट्स को अब गृह जिले मिल रहे हैं। परेशान होकर कैंडिडेट्स कोर्ट में चले गए, जहां न्याय तो मिला लेकिन शिक्षा विभाग ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
ये है मामला
शिक्षा विभाग ने अक्टूबर 2023 में शिक्षक भर्ती में चयनित कैंडिडेट को नियुक्ति देना शुरू कर दिया। बकायदा काउंसिलिंग की गई और कैंडिडेट को मेरिट के आधार पर जिला आवंटित कर दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2024 में इसी भर्ती की वेटिंग लिस्ट जारी की गई। 1750 पदों के लिए जारी इस वेटिंग लिस्ट के आधार पर फिर से जिला आवंटन किया गया। पहले चरण में जिन कैंडिडेट को जिला आवंटित किया गया था, उनके मुकाबला दूसरी बार जिला आवंटन वाले कैंडिडेट्स लाभ में रहे
।दरअसल, कम अंक होने के बाद भी उन्हें अपने घर के आसपास ही नौकरी मिल गई, जबकि ज्यादा अंक लाने वाले कैंडिडेट को दूरस्थ जिलों में जॉइन करना पड़ा था। दरअसल, पहली काउंसिलिंग में विभाग ने सभी पद काउंसिलिंग में ओपन नहीं किए थे। बड़े शहरों के आसपास के जिलों को ओपन नहीं करने से ज्यादा अंक लाने वाले कैंडिडेट इन स्कूल में जॉइनिंग नहीं ले सके। इसके विपरीत वेटिंग लिस्ट के कैंडिडेट की काउंसिलिंग के समय ये स्कूल ओपन कर दिए गए। ऐसे में कम मार्क्स के बावजूद कैंडिडेट को अपने घर के पास नियुक्ति मिल गई।
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कैंडिडेट्स बोले- हमारे साथ अन्याय
शिक्षक भर्ती 2022 में करौली के कैंडिडेट जिग्नेश शर्मा का कहना है कि उसका मेरिट में 2886 नंबर था। उसे पसन्द का जिला नहीं मिला, बल्कि चॉइस का बारहवां जिला झालावाड़ मिला। वहीं उससे काफी कम मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट को अब करौली ही मिल रहा है।
अब नई पोस्टिंग की मांग

पहली सूची में नौकरी पाने वाले टीचर्स चाहते हैं कि नए सिरे से काउंसिलिंग करके पदस्थापन किया जाए। ग्रेड थर्ड टीचर्स के पिछले कई सालों से ट्रांसफर नहीं हुए हैं। ऐसे में ज्यादा मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट्स को सामान्य तौर पर गृह जिले में आने का अवसर नहीं मिलेगा, वहीं कम मार्क्स वाले सुविधाजनक स्थानों पर नौकरी कर रहे हैं।
पहले हो चुकी है रिशफलिंग
इससे पहले वर्ष 2018-19 में भी ऐसा ही हुआ था। तब भी ज्यादा मार्क्स वाले कैंडिडेट को बाहर और वेटिंग लिस्ट वालों को बाद में गृह जिला दिया गया। तब शिक्षा विभाग ने रिशफलिंग की और पहले नौकरी पाने वालों को गृह जिले में काम का अवसर दिया गया।
इस बार निदेशालय ने झाड़ा पल्ला
इस मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कैंडिडेट का आरोप है कि प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय इस मामले में अब पल्ला झाड़ रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लेकर ये लोग प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक से मिले थे लेकिन इस मामले में फिलहाल कुछ नहीं कर पाने की बात कही गई। कैंडिडेट्स का आरोप है कि न्यायालय के आदेश को भी नहीं माना जा रहा है। दरअसल, शिक्षक भर्ती में हर विषय के लिए अलग-अलग मेरिट तय की गई थी। इसी मेरिट के आधार पर टीचर्स को नियुक्ति मिली है। साइंस और मेथ्स में सबसे ज्यादा कैंडिडेट परेशान हो रहे हैं।