


जयपुर। राजस्थान सरपंच संघ द्वारा अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलन जारी है। राज्य सरकार द्वारा मांगों पर कोई ध्यान नहीं देने से आक्रोशित सरपंच संघ आंदोलन को और तेज करने जा रही है। इसको लेकर सरपंच संघ राजस्थान द्वारा गुरुवार को दोपहर 1:00 बजे गणगोर होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि सरपंच संघ अपने 15 सूत्री मांग पत्र पर निर्णय नहीं करने के कारण प्रदेश भर के सरपंच आंदोलन पर है । आंदोलन के प्रथम चरण में सरपंच संघ के द्वारा 13 अप्रैल को ब्लॉक स्तर जिला स्तर एवं प्रदेश स्तर पर दिया ज्ञापन दिया गया। उसके पश्चात 20 अप्रैल से प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों के तालाबंदी कर सरपंच राज्य सरकार के प्रशासन गांवों के संग अभियान एवं महंगाई राहत शिविरों का लगातार बहिष्कार करते हुए पंचायत समिति मुख्यालय एवं उपखंड मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं।। साथ ही प्रदेश नेतृत्व के आव्हान पर ग्राम पंचायतों में तालाबंदी एवं अन्य विरोध प्रदर्शन भी की जाने की बात कही है। सरपंच संघ का कहना है कि राज्य वित्त आयोग के साथ-साथ केंद्रीय वित्त आयोग का पैसा भी ग्राम पंचायतों में नहीं आ रहा है।
ग्राम पंचायतों में विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त आयोग तथा केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय वित्त आयोग के तहत समय-समय पर राशि दी जाती है। यह राशि सभी ग्राम पंचायतों में उनके जनसंख्या के आधार पर दी जाती है। राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त आयोग में 1 ग्राम पंचायत को साल भर में 30 से 40 लाख की किस्त मिलती है। जिसके तहत गांव में सडक़, पानी बिजली आदि को लेकर कार्य किया जाता है। इसी तरह केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा भी लगभग इतनी ही राशि दी जाती है। जिसमें मुख्य रूप से सफाई एवं नाली, नाला निर्माण के साथ-साथ अन्य कार्यों में पैसा खर्च किया जाता है। सरपंचों ने बताया कि साल 2022-23 में आधा बजट भी ग्राम पंचायतों को नहीं मिला है। साथ ही पिछले कई महीनों से राज्य वित्त आयोग एवं केंद्रीय वित्त आयोग दोनों की ही किस्त नहीं आ रही है। वर्तमान में राजस्थान की पंचायतों पर 3 हजार करोड़ रुपए की राशि की सरकारी किस्त बकाया है। जिसके चलते पंचायतों में विकास का पहिया लगभग ठप सा हो गया है।
