जयपुर।
राजस्थान में करोड़ों के डिजिटल पेमेंट किट घोटाले को लेकर अब अदालत की निगाहें सख्त हो गई हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से 15 दिन में जवाब मांगा है। साथ ही राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड (RajCOMP) और इससे जुड़े छह अधिकारियों सहित सप्लाई करने वाली फर्म को नोटिस जारी कर दिया गया है। यह कार्रवाई पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर की गई।
क्या है डिजिटल पेमेंट किट घोटाला?
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं पूनम चंद भंडारी और डॉ. टी.एन. शर्मा ने बताया कि इस घोटाले की जड़ें वर्ष 2017 में निकाले गए एक सरकारी टेंडर से जुड़ी हैं।
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शुरुआत में 19 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था, जो बाद में बढ़ाकर 33 करोड़ रुपये कर दिया गया।
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इस टेंडर के तहत राज्यभर के ई-मित्र केंद्रों को 8592 डिजिटल पेमेंट किट वितरित की जानी थी।
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प्रत्येक किट में टैबलेट, पीओएस मशीन, फिंगरप्रिंट स्कैनर और अन्य उपकरण शामिल थे।
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इन उपकरणों के लिए सरकार द्वारा हर महीने सब्स्क्रिप्शन शुल्क भी चुकाया गया।
लेकिन असली घोटाला यहीं से शुरू होता है…
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याचिकाकर्ताओं द्वारा RTI के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों से यह सामने आया कि मार्च 2019 तक केवल 4964 किट ही सक्रिय की गई थीं।
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इनमें से अधिकांश किटों से एक भी डिजिटल लेन-देन नहीं हुआ, बावजूद इसके, सभी किटों की पूरी भुगतान राशि जारी कर दी गई थी।
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इतना ही नहीं, रख-रखाव और मासिक सब्स्क्रिप्शन के नाम पर संबंधित फर्म को लगभग 8 करोड़ रुपये अतिरिक्त दे दिए गए।
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सीएजी (CAG) की आपत्तियों के बावजूद विभाग ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
अदालत का रुख सख्त, ACB पर जताई नाराज़गी
इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने स्पष्ट नाराज़गी जताते हुए कहा कि,
“2020 में दायर जनहित याचिका पर अब तक ACB की ओर से कोई जवाब नहीं आना बेहद चिंताजनक है।”
अदालत ने ACB को 15 दिन में जवाब प्रस्तुत करने का अंतिम मौका दिया है। यदि जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी को स्वयं अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा।
इन अधिकारियों को भेजा गया नोटिस
हाईकोर्ट ने इस मामले में निम्नलिखित लोगों/संस्थाओं को नोटिस जारी किया है:
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राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड
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हंसराज यादव
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सीताराम स्वरूप
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रणवीर सिंह
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नीलेश शर्मा
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कौशल सुरेश गुप्ता
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सप्लाई करने वाली फर्म – CRIIPL (CRI Infotech Pvt. Ltd.)
आगे क्या?
यह मामला अब एक बड़े घोटाले का रूप लेता नजर आ रहा है, जिसमें न सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ, बल्कि डिजिटल सेवाओं के नाम पर जनता को धोखा भी दिया गया। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि मामले की निर्दोष जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।