



राजस्थान में जल्द ही जेनेटिक टेस्टिंग की शुरुआत होने जा रही है, जो गर्भ में ही रेयर डिजीज का पता लगाने में मदद करेगी। इस पहल के तहत जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (SMS) में मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की स्थापना की जाएगी, जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंजूर की गई है। यह राजस्थान को देश का पहला राज्य बना देगा, जहां जेनेटिक टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध होगी।
इस टेस्टिंग से गर्भस्थ शिशु में किसी भी जेनेटिक समस्या या रेयर डिजीज का जल्दी पता लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही इस विभाग का उद्देश्य माता-पिता के जीन से बच्चों में होने वाली बीमारियों का पूर्व में ही पता लगाना भी होगा। इसके लिए जेके लोन अस्पताल में मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की स्थापना की जाएगी, जहां ओपीडी और आईपीडी की सुविधा प्रदान की जाएगी। वहीं, SMS अस्पताल में जेनेटिक टेस्टिंग से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा।
63 तरह की जेनेटिक डिसऑर्डर
केंद्र सरकार ने 63 तरह की जेनेटिक डिसऑर्डर वाली रेयर बीमारियों को चिन्हित किया है, जिनका इलाज बहुत महंगा होता है। उदाहरण के तौर पर, स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नामक बीमारी का इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवा Zolgensma इंजेक्शन से होता है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए से अधिक होती है।

दुनिया में 7,000 रेयर डिजीज
रेयर डिजीज सेंटर के नोडल ऑफिसर डॉ. प्रियांशु माथुर के अनुसार, दुनिया में अब तक 7,000 रेयर डिजीज की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 5% बीमारियों का इलाज महंगा होता है, जबकि 95% बीमारियों की दवाइयां सस्ती होती हैं। भारत में लगभग 4 से 6 प्रतिशत जेनेटिक डिसऑर्डर के मामले हैं, और हर साल 4 लाख से अधिक जेनेटिक डिसऑर्डर वाले बच्चे पैदा होते हैं।
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सरकारी पहल
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीश कुमार ने इस पहल को लेकर कहा कि सरकार रेयर डिजीज और जेनेटिक बीमारियों के इलाज के लिए गंभीर है और जेनेटिक टेस्टिंग के माध्यम से इन बीमारियों का जल्द पता लगाने के लिए कदम उठा रही है।