


रायबरेली और अमेठी से प्रत्याशियों की घोषणा हो गई है। प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ रही हैं। अब इस बात के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी के राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद से रायबरेली के लिए प्रत्याशी की तलाश शुरू हो गई थी। शुरुआती दौर में प्रियका गांधी रायबरेली को लेकर रुचि दिखा रही थीं। वह यहां से चुनाव लड़ना चाहती थीं। इसी बीच राहुल गांधी की न्याय यात्रा शुरू हुई। पार्टी के कुछ नेताओं ने रायबरेली से प्रियंका के बजाय राहुल का नाम रायबरेली के लिए आगे बढ़ाया। इस पर प्रियंका ने चुप्पी साध ली। उनकी टीम भी धीरे-धीरे यूपी चुनाव से दूर होती नजर आईं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रियंका गांधी नहीं चाहतीं कि उनके और राहुल गांधी के बीच सियासत को लेकर किसी तरह का टकराव हो। ऐसे में उन्होंने अपनी टीम को भी साफ कहा कि चुनाव तो कभी भी लड़ लेंगे। क्योंकि उनकी टीम ने रायबरेली के साथ ही प्रयागराज, फूलपुर, वाराणसी सीट का सर्वे करने के बाद प्रियंका गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट को उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था। तभी से उनके चुनाव लड़ने को लेकर संशय की स्थिति बनी थी।
किशोरी को मिला वफादारी का इनाम

मूल रूप से किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें पहली बार अमेठी लेकर आए थे। तब से वह यहीं के होकर रह गए। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे। उन्हें संगठन ही नहीं परिवार का भी वफादार माना जाता है। रायबरेली से सोनिया गांधी के सांसद चुने जाने के बाद च उनके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते रहे। सोनिया गांधी के चुनाव नहीं लड़ने पर किशोरी को रायबरेली से दावेदार माना जा रहा था लेकिन पार्टी ने उन्हें रायबरेली के बजाय अमेठी से उम्मीदवार बनाया है