


खबर 21 – रूस में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. 15 मार्च से 17 मार्च के बीच वहां वोटिंग होगी. हालांकि, इन चुनाव को औपचारिकता मात्र ही माना जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि व्लादिमीर पुतिन का राष्ट्रपति चुना जाना करीब-करीब तय है.
रूस का राष्ट्रपति चुनाव इस बार कई मायनों में खास है. उसकी कई वजहें भी हैं. ये चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब यूक्रेन के साथ रूस की जंग जारी है. पुतिन के सामने कोई दमदार विपक्ष नहीं है. और तो और ये पहली बार है जब रूस में तीन दिन तक वोटिंग होगी.
इस चुनाव में पुतिन की जीत लगभग तय मानी जा रही है. दरअसल, रूस में राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया काफी अलग है. वहां ‘पॉपुलर वोट’ से राष्ट्रपति चुने जाते हैं.
यानी कि जिसे 50% से ज्यादा वोट मिलते हैं, वही राष्ट्रपति होता है. अगर उम्मीदवार ज्यादा हैं और किसी एक को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिले तो तीन हफ्तों बाद दोबारा चुनाव होता है, जिसमें टॉप-2 उम्मीदवार ही होते हैं. फिर इन दो में से कोई एक राष्ट्रपति बनता है.
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पुतिन का जीतना तय क्यों?

पुतिन अब तक चार बार रूस के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं. और हर चुनाव में उनका वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा ही है.साल 2000 में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति चुने गए थे, तब उन्हें 54% वोट मिले थे. इसके बाद 2004 में उन्हें 72% और 2012 में 65% वोट मिले थे. 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने 77% वोट हासिल किए थे.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 71 साल के पुतिन की छवि रूस में एक ‘सख्त नेता’ की है. और उनकी लोकप्रियता की एक बड़ी वजह यही है. यूक्रेन से जंग के बीच पुतिन पर ‘वॉर क्राइम’ के आरोप लगे हों, लेकिन रूस की एक बड़ी आबादी को उनका समर्थन हासिल है.
रूसी मानते हैं कि पुतिन ही हैं जो अमेरिका-यूरोप जैसे पश्चिमी देशों को सख्ती से जवाब दे सकते हैं. फरवरी में एक सर्वे हुआ था, जिसमें 75 फीसदी रूसियों ने पुतिन को ही वोट देने की बात कही थी.