


बीकानेर। जयपुर। राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2022-23 का बजट पेश करते हुए 1 जनवरी, 2024 या उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू क रने की घोषणा की थी। हालांकि, राज्य में यह स्कीम लागू हो पाती, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 200 विधानसभा सीटों में से 115 सीटें जीतकर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। कांग्रेस के सत्ता से बेदखल होने के बाद अशोक गहलोत की यह योजना लागू होगी या नहीं, इस पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे।
कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर पार्टी फिर से सत्ता में लौटी तो कानून बनाकर ओपीएस राज्य में लागू की जाएगी। वहीं, भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में इस स्कीम को लेकर कोई बात नहीं की थी। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि इस मुद्दे पर समिति का गठन किया जाएगा।
भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद से ही इस स्कीम को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, इस स्कीम को लेकर स्थिति 22 जनवरी को ही साफ हो पाएगी। दर असल, 19 जनवरी से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। ओपीएस को लेकर कांग्रेस के दो विधायकों-गोविंद सिंह डोटासरा और इंदिरा मीना ने सवाल लगाया है। इसपर, 22 जनवरी को डिप्टी सीएम दीया कुमारी जवाब देंगी। दीया के पास वित्त मंत्राल का प्रभार भी है।

भाजपा पुरानी पेंशन स्कीम कें पक्ष में नहीं
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भाजपा शुरू से ही पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में नहीं रही है। इसलिए, पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इस योजना को लेकर कोई वादा नहीं किया था। सरकार बनने के बाद भी भाजपा ने इसे लेकर ऐसा कोई संकेत नहीं दिया था कि इसे लागू किया जाएगा या नहीं। इसलिए, माना जा रहा है कि अशोक गहलोत की एक और योजना को भाजपा सरकार बंद कर देगी। भाजपा शुरू से ही न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के पक्ष में रही है। अब सबकी नजरे 22 जनवरी पर टिकी हैं। इस दिन ओपीएस को लेकर सवाल सूचीबद्ध हुआ है। उस दिन वित्त मंत्री दीया कुमारी के सदन में दिए बयान से स्पष्ट होगा कि राज्य के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा या फिर सरकार इसमें कोई बदलाव करेगी।