

निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में दी जाएगी फांसी, भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जताई असमर्थता
केरल की रहने वाली भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को यमन की राजधानी सना की एक जेल में 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी। उन पर एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। इस मामले में निमिषा को वर्ष 2020 में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी।
अब, जब फांसी की तारीख करीब है, तो भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में कूटनीतिक रूप से हस्तक्षेप नहीं कर सकती। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ए.जी. वेंकटरमणी ने कोर्ट में कहा कि भारत और यमन के हूती शासन के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, इसलिए सरकार की भूमिका सीमित है।
क्या कहा केंद्र सरकार ने?
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान में कहा:
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“हम निजी स्तर पर प्रयास कर रहे हैं लेकिन यमन की परिस्थितियों को देखते हुए हम अधिक कुछ नहीं कर सकते।”
सरकार ने बताया कि हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में भारत की कोई आधिकारिक उपस्थिति नहीं है, और न ही वहां पर कोई दूतावास या राजनयिक मिशन है। भारत सरकार ने यह भी कहा कि उसने इस संवेदनशील मुद्दे पर अब तक गोपनीय प्रयास किए हैं, और वो अब भी निजी स्तर पर कोशिशें कर रही है।
मां यमन में मौजूद, बेटी को बचाने की अंतिम कोशिश
निमिषा की मां पिछले एक साल से यमन में ही मौजूद हैं, और उनका कहना है कि वे बेटी को लिए बिना भारत वापस नहीं आएंगी। 7 जुलाई को उन्हें यमन की जेल से एक कॉल आया था, जिसमें फांसी की तारीख की सूचना दी गई।
हत्या का मामला क्या था?
2011 में निमिषा अपने परिवार के साथ यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ क्लिनिक शुरू किया। परिवार के अनुसार, तलाल ने बाद में निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। एक दिन जब निमिषा ने तलाल को बेहोश करने की कोशिश की, तो उसकी मौत हो गई।
इसके बाद 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी थी।