


रेखा गुप्ता के बंगले के रेनोवेशन पर विवाद, करोड़ों की सजावट को लेकर विपक्ष का हमला तेज
दिल्ली की राजनीति इन दिनों मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास के रेनोवेशन को लेकर गर्मा गई है। लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा जारी किए गए टेंडर में बंगले के रिनोवेशन पर 60 लाख रुपये खर्च किए जाने की बात सामने आई है, जिसमें केवल इंटीरियर, इलेक्ट्रिकल फिटिंग और घरेलू उपकरणों की खरीद शामिल है। इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेर लिया है।
बंगले को लेकर क्या है विवाद?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को दिल्ली में दो बंगले आवंटित हुए हैं, जिनमें से एक को उन्होंने अपने निवास के रूप में चुना है। यह वही बंगला है, जहां पहले उपराज्यपाल का कार्यालय हुआ करता था। बंगले को दोबारा निवास योग्य बनाने के लिए रेनोवेशन जरूरी बताया गया, क्योंकि पूर्व में इसे सरकारी दफ्तर के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
टेंडर में शामिल हैं ये महंगे सामान
टेंडर में जो खर्च दर्शाया गया है, वह निर्माण कार्य पर नहीं, बल्कि अंदरूनी साज-सज्जा और सुविधाओं पर केंद्रित है। इसके तहत:
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14 एयर कंडीशनर – ₹7.7 लाख
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5 स्मार्ट टीवी – ₹9.3 लाख
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6.03 लाख रुपये की डेकोरेटिव लाइट्स
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14 सीसीटीवी कैमरे – ₹5.73 लाख
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23 प्रीमियम सीलिंग फैन – ₹1.8 लाख
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2 लाख का यूपीएस सिस्टम
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₹91 हजार के 6 गीजर
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किचन अप्लायंसेज: ₹85 हजार का ओटीजी, ₹60 हजार का डिश वॉशर, ₹63 हजार का गैस स्टोव, ₹32 हजार का माइक्रोवेव, ₹77 हजार की वॉशिंग मशीन
टेंडर के अनुसार, बंगले में 115 सजावटी लाइटें, हैंगिंग लाइट्स और 3 बड़े झूमर भी लगाए जाएंगे।
विपक्ष का हमला
आम आदमी पार्टी ने इस खर्च को “मायामहल” करार देते हुए कहा कि जब दिल्ली की जनता बिजली-पानी, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है, तब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता खुद के लिए ऐशोआराम के साधनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “शीशमहल” की आलोचना करने वाली भाजपा अब खुद “रंगमहल” बना रही है। उन्होंने तंज कसा कि दिल्ली के लोग जहां घर ढहने के डर से परेशान हैं, वहीं मुख्यमंत्री एक नहीं बल्कि दो बंगलों का सुख ले रही हैं।
केजरीवाल के बंगले से तुलना
दिलचस्प यह है कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले पर हुए करोड़ों रुपये के खर्च को पहले कई बार चुनावी मुद्दा बनाया था। तब कैग रिपोर्ट और आरटीआई के हवाले से दावा किया गया था कि केजरीवाल ने 2015 से 2022 के बीच बंगले के रेनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए, जिनमें सिर्फ पर्दों पर ही ₹95 लाख खर्च बताए गए थे।
अब विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि जब भाजपा खुद रेनोवेशन को फिजूलखर्ची बताती थी, तो सत्ता में आने के बाद वैसा ही खर्च क्यों कर रही है? क्या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बंगले पर यह रेनोवेशन आवश्यक था या यह जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी है?
राजनीतिक बहस तेज
बंगले के खर्चों की तुलना के बहाने दिल्ली की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है। रेनोवेशन जरूरी था या नहीं, यह तो विभागीय रिपोर्ट से साफ होगा, लेकिन फिलहाल विपक्ष इस मुद्दे को जनता से जोड़कर जोरदार हमला कर रहा है।