


नई दिल्ली।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कई गंभीर आपत्तियां दर्ज कराते हुए इस अधिनियम को असंवैधानिक बताया।
सिब्बल ने कहा कि वक्फ अल्लाह को दिया गया एक स्थायी दान है, जिसे वापस नहीं लिया जा सकता और न ही किसी और को हस्तांतरित किया जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि नया वक्फ कानून इस तरह से तैयार किया गया है कि इसके तहत वक्फ संपत्तियों को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के कब्जे में लिया जा सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून का असल उद्देश्य वक्फ की जमीनों पर कब्जा करना है। उनके अनुसार, यह कानून इस प्रकार लागू किया जा रहा है कि सरकारी अधिकारी ही शिकायत दर्ज करेंगे, जांच करेंगे और फैसला भी खुद ही लेंगे। इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
कपिल सिब्बल ने यह भी सवाल उठाया कि यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के समय वक्फ घोषित करना चाहे, तो उसे पहले यह साबित करना होगा कि वह मुस्लिम है, जो एक असंवैधानिक शर्त है।
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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि जब तक कोई ठोस संवैधानिक आधार या स्पष्ट उल्लंघन सामने नहीं आता, तब तक कोर्ट संसद द्वारा पारित किसी कानून की वैधता में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी कहा कि कानूनों की संवैधानिकता की एक प्राथमिक मान्यता होती है, जिसे कमजोर सबूतों से नहीं नकारा जा सकता।
अब कोर्ट इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए विस्तृत दस्तावेजों और दलीलों की प्रतीक्षा करेगी।