



केरल के अलप्पुझा की रहने वाली महिला, साफिया पी एम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उसने अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और उत्तराधिकार कानून के तहत अधिकार की मांग की है। महिला का कहना है कि वह इस्लाम को नहीं मानती, लेकिन उसने आधिकारिक रूप से इस्लाम को छोड़ा नहीं है। उसका दावा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उसे धर्म का अधिकार मिलना चाहिए, साथ ही उसे धर्म पर विश्वास न करने का भी अधिकार होना चाहिए।
महिला ने याचिका में यह भी कहा है कि शरिया कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति इस्लाम में विश्वास नहीं रखता, तो उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाता है और इसके कारण उसे अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिल पाता। इसलिए, वह चाहती है कि उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के बजाय देश के धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत उत्तराधिकार का अधिकार मिले।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और सरकार का पक्ष पूछा है। इस मामले की सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह याचिका एक “रोचक सवाल” उठाती है, और उन्होंने तीन हफ्ते का समय मांगते हुए जवाब दाखिल करने का अनुरोध किया। पीठ ने इस पर चार हफ्ते का समय दिया और 5 मई को अगली सुनवाई की तारीख तय की।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 29 अप्रैल को केंद्र और राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा था। इस याचिका की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह स्पष्ट जवाब देने को कहा कि क्या ऐसे मामलों में धर्मनिरपेक्ष कानून लागू किया जा सकता है।