



Disclaimer Note: -इस समाचार में दिए गए आंकड़े और जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं और किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले आपको एक पेशेवर वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना चाहिए। निवेश में जोखिम शामिल हैं और इस समाचार में शामिल कोई भी निवेश के लिए सलाह नहीं है।
सेंसेक्स में तेजी, निवेशकों को मिली राहत
बाजार में दो दिनों की भारी गिरावट के बाद मंगलवार को बेंचमार्क शेयर सूचकांकों ने उछाल दिखाया। बैंकिंग और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील शेयरों में खरीदारी के कारण बाजार में यह रिकवरी देखी गई। इसके अलावा, रिजर्व बैंक द्वारा वित्तीय प्रणाली में नकदी डालने के फैसले से बाजार को मदद मिली।
सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त
तीस शेयरों वाला सेंसेक्स 535.24 अंक या 0.71 प्रतिशत चढ़कर 75,901.41 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 1,146.79 अंक या 1.52 प्रतिशत की बढ़त हासिल करते हुए 76,512.96 अंक का उच्चतम स्तर छुआ। वहीं, 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 128.10 अंक या 0.56 प्रतिशत बढ़कर 22,957.25 अंक पर बंद हुआ।
बजाज फाइनेंस और एक्सिस बैंक में तेजी
सेंसेक्स के प्रमुख लाभार्थी शेयरों में बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, जोमैटो, इंडसइंड बैंक, मारुति सुजुकी इंडिया और भारती एयरटेल शामिल रहे।
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पिछड़ने वाले शेयरों में शामिल रहे
सन फार्मास्युटिकल, लार्सन एंड टूब्रो, आईटीसी, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, नेस्ले इंडिया, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और एशियन पेंट्स पिछड़ने वाले शेयरों में रहे।

वैश्विक बाजार का मिला-जुला रुख
एशियाई बाजारों में टोक्यो नकारात्मक क्षेत्र में और हॉन्गकॉन्ग हरे रंग में बंद हुआ। वहीं, सियोल और शंघाई के बाजार छुट्टियों के कारण बंद रहे। यूरोपीय बाजारों में तेजी रही, जहां ब्रिटेन का एफटीएसई 100, जर्मनी का डीएएक्स और पेरिस का सीएसी 40 सकारात्मक प्रदर्शन किया। हालांकि, अमेरिकी बाजार सोमवार को गिरावट के साथ बंद हुए।
तेल कीमतों में उछाल
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 0.62 प्रतिशत बढ़कर 77.56 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर
वैश्विक बाजार की कमजोर धारणा के बीच मंगलवार को रुपया 25 पैसे गिरकर 86.56 रुपये पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने बताया कि विदेशी पूंजी का निरंतर बाहर जाना और तेल आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग ने रुपये पर दबाव डाला।