


छठ पूजा का त्योहार नजदीक आ रहा है, और दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वांचल के लोग इसे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं। इस दौरान लोगों में उत्साह का माहौल है, लेकिन यमुना नदी के प्रदूषण ने उनकी खुशी को प्रभावित किया है। यमुना पूरी तरह से केमिकल के सफेद झाग में तब्दील हो चुकी है, जो दूर-दूर तक फैला हुआ है। इस स्थिति ने दिल्ली सरकार के उन दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है, जिनमें कहा गया था कि यमुना को साफ करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
स्थानीय नागरिक हितैश कौशिक ने यमुना के प्रदूषण के संबंध में कहा, “दिल्लीवासियों का 70 फीसदी योगदान यमुना को प्रदूषित करने में है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वे यमुना को इतना साफ कर देंगे कि लोग इसमें डुबकी लगा सकेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। छठ आने वाला है, ऐसे में सवाल है कि लोग इस पर्व को कैसे मनाएंगे।”
एक अन्य नागरिक खविंदर सिंह कैप्टन ने कहा, “दिल्ली में 31 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनमें से 27 काम नहीं कर रहे हैं। इन कंपनियों में व्यापक भ्रष्टाचार हो रहा है। केजरीवाल सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। यमुना की सफाई के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।”

मयंक गिरधर ने कहा, “हमें भी यमुना को प्रदूषित करने में जिम्मेदार ठहराना चाहिए। प्रदूषण फैक्ट्रियों से आ रहा है। यदि हम इन उत्पादों की मांग को कम करें, तो प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा। सरकार ने यमुना की सफाई में 67,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन मुझे संदेह है कि इतनी बड़ी राशि खर्च हुई है। पहले फैक्ट्रियों को बंद करना चाहिए।”
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source – Patrika