

रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन
रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। टाटा समूह ने एक बयान जारी कर उनके निधन की जानकारी दी। रतन टाटा मुंबई के एक अस्पताल में आईसीयू में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई और आज यह समूह 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है।
रतन टाटा की उदारता और सादगी ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया था, और वे अपने जीवनकाल में अरबों लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गए। उन्होंने 20 से अधिक वर्षों तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और रिटायरमेंट के बाद भी समूह के संचालन में उनका सक्रिय योगदान बना रहा।
भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा, जिन्हें ‘भारत का रतन’ कहा जाता था, अपनी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे, भले ही वे अरबपतियों की सूची में शुमार थे। उनका हर कोई सम्मान करता था और उनकी उदारता और परोपकार के किस्से लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
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रतन टाटा, जो करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी शानदार कारोबारी उपलब्धियों के साथ-साथ उनका सादा जीवन और उनके द्वारा किए गए समाजसेवी कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। सैकड़ों करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद रतन टाटा ने हमेशा सादगी से जीवन जिया, जिसके किस्से आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी एक कार्यक्रम में रतन टाटा से जुड़ा एक अनोखा किस्सा साझा किया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
रतन टाटा से जुड़े किस्से

नितिन गडकरी ने बताया, “रतन टाटा जी मेरे अच्छे मित्र रहे हैं। एक बार वह मुंबई के मालाबार हिल स्थित मेरे घर आ रहे थे और रास्ता भूल गए। उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि नितिन, मैं तुम्हारे घर का रास्ता भूल गया हूं। मैंने उनसे कहा कि अपना फोन ड्राइवर को दीजिए, तब उन्होंने बताया कि उनके पास ड्राइवर नहीं है और वे खुद गाड़ी चला रहे हैं। यह सुनकर मैं चकित हो गया कि इतने बड़े उद्योगपति के पास ड्राइवर नहीं है और वह खुद गाड़ी चला रहे हैं।”
गडकरी ने आगे बताया कि जब रतन टाटा उनके घर पहुंचे तो उनके पास कोई सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। इतना बड़ा उद्योगपति होने के बावजूद उनके जीवन में सादगी काबिले तारीफ थी। एक और घटना का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा, “एक बार मैं उन्हें फ्लाईओवर के उद्घाटन के लिए मुंबई लेकर गया था। वहां हेलीकॉप्टर भी मौजूद थे, लेकिन उनके बोलने, चलने या व्यवहार में कहीं से भी ऐसा नहीं लगा कि वह टाटा ग्रुप के मालिक हैं।”
सादगी का एक और उदाहरण देते हुए गडकरी ने बताया, “नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान रतन टाटा अपने हाथ में बैग लिए हुए थे। मैंने एक कर्मचारी से उनका बैग लेने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और कहा कि यह मेरा बैग है, मैं ही इसे उठाऊंगा। इतना ही नहीं, गाड़ी में भी वह ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे, जबकि मैंने उन्हें पीछे बैठने का सुझाव दिया।”
रतन टाटा की सादगी और विनम्रता से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी बेहद प्रभावित थे। उन्होंने कहा, “इतने बड़े उद्योगपति की सादगी हम सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।”