


बीकानेर। कांग्रेस की लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की 49 नामों की पहली सूची जारी हो गई है। कांग्रेस ने इस सूची में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी ने इस बार कई सीनियर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल का भी नाम शामिल है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस राजस्थान में भाजपा की हैट्रिक रोकने के लिए बघेल की तर्ज पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट को चुनावी मैदान में उतार सकती है।
कांग्रेस पूरी दमखम के साथ जुटी
राजस्थान में पिछले दो बार से लगातार बीजेपी 25 में से 25 सीट जीतकर हैट्रिक लगाई है। इसे रोकने के लिए कांग्रेस पूरी तरह से प्रयास कर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस ने राजस्थान को देखते हुए जल्दबाजी नहीं करने का फैसला लिया है। इस बार कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट दिखाई दे रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। बीजेपी लगातार 25 में से 25 सीटों पर जीत रही है। इस बार हैट्रिक लगाने की बारी है।
इस बार कांग्रेस बदलाव के मूड़ में
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लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पिछले दो लोकसभा चुनाव के परिणामों में बदलाव की उम्मीद कर रही है। इसी कारण कांग्रेस राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को लोकसभा चुनाव लड़वाने का प्लान बना रही है। ऐसा माना जा रहा है कि ये तीनों नेता राज्य में कांग्रेस की लोकसभा सीटों का 10 साल का सूखा समाप्त कर सकते हैं।

गहलोत-शेखावत आमने-सामने?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर संसदीय क्षेत्र से गजेंद्र सिंह से पहले 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्व कर चुके है। जबकि ऐसा कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में जोधपुर सीट से गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ पूर्व सीएम अशोक गहलोत को मैदान में उतारती है तो गहलोत उनके लिए कड़ी चुनौती साबित होंगे।
पायलट की टोंक-सवाई माधोपुर से तैयारी!
वहीं सचिन पायलट को भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारने का प्लान बना रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पायलट को टोंक-सवाई माधोपुर से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है। पायलट पहले ही टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। साथ ही इस सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उनके समर्थकों को उत्साह मिलेगा और इसका असर पड़ोसी लोकसभा सीटों पर भी देखने को मिल सकता है।