


बीकानेर। जयपुर। भाजपा प्रदेश में पचास जिलों के आधार पर लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार कर रही है। इनमें नवगठित 17 जिलों को भी शामिल किया जा रहा है, ताकि बेहतर परिणाम मिल सके। खास बात यह है कि इन पचास जिलों का जिम्मा सत्ता में भागीदारी निभा रहे सभी मंत्रियों को भी दिया जाएगा। हर मंत्री को 2-2 जिलों की जिम्मेदारी मिलेगी। इन जिलों में शामिल लोकसभा सीट पर चुनाव रणनीति से लेकर जीतने तक की जवाबदेही इन मंत्रियों की भी होगी। किसी भी मंत्री को स्वयं के गृह जिले की जिम्मेदारी नहीं मिलेगी। जल्द ही तय हो जाएगा कि कौनसा मंत्री किन जिलों में नियमित प्रवास पर रहेगा।
इन सीटों पर ज्यादा फोकस
विधानसभा चुनाव में भाजपा को लोकसभा की जिन सीटों पर कम वोट मिले थे, उस पर भी चर्चा की जा रही है। इनमें जयपुर ग्रामीण, जालोर, झुंझुनूं, करौली-धौलपुर, नागौर, सीकर, टोंक-सवाईमाधोपुर, श्रीगंगानगर, अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर सीट हैं। भाजपा इन 11 लोकसभा सीटों ज्यादा फोकस कर रही है।
नए प्रयोग का मतलब क्या प्रत्याशी बदलने की तैयारी ?
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एक दिन पहले जयपुर के रिजॉर्ट में हुई भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक में चुनाव जीतने के लिए नए प्रयोग पर भी चर्चा हुई। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कई मौजूदा सांसदों के टिकट भी काट सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 6 लोकसभा सांसदों को उतारा था, जिसमें से तीन ने जीत हासिल की। जिन्होंने चुनाव जीता, उसमें से दिया कुमारी और राज्यवर्धन राठौड़ भजनलाल सरकार में कैबिनेट में मंत्री हैं। ऐसे में इन दोनों की सीट पर नए प्रत्याशी की तलाश हो रही है।
इसके अलावा जिन तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव में हार मिली, उन्हें लोकसभा टिकट मिलेगा या नहीं, उस पर संशय है। इसके अलावा कई सांसदों के प्रति क्षेत्र में नाराजगी देखने को मिल रही है। इन सांसदों का टिकट भी काटा जा सकता है। एक-दो सांसदों के क्षेत्रों में पोस्टर भी लगाए गए हैं।