


जयपुर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा पार्ट जल्द ही शुरू करेंगे। खास बात यह है कि इस बार भी यात्रा राजस्थान से होकर निकलेगी। यात्रा का रूट दक्षिण जिलों से निकालने की तैयारियां चल रही हैं। चुनावी माहौल को देखते हुए राहुल गांधी आदिवासी वोटर्स को साधने का प्रयास करेंगे। उनका यह दौरा राजस्थान की 10 लोकसभा और 60 के करीब विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस करते हुए फाइनल किया जाएगा। यात्रा 15 अगस्त या 2 अक्टूबर से शुरू होने की संभावना है। पूरी यात्रा का रूट करीब 3,400 से 3,600 किलोमीटर लंबा होगा। राजस्थान में यह कम से कम तीन से चार जिलों के करीब 300 किलोमीटर का एरिया कवर करेगी।
भारत जोड़ो यात्रा, पार्ट-2 की तैयारियां किस स्तर पर हैं, आइए जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बताया कि यात्रा के फाइनल रूट पर जल्द ही ्रढ्ढष्टष्ट के स्तर पर दिल्ली से यात्रा का पूरा ब्यौरा जारी किया जाएगा। भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े अंतिम रूप दे रहे हैं। तिथि कौन सी होगी, इस पर अंतिम निर्णय भी खडग़े ही करेंगे। राजस्थान में कौन से इलाकों से गुजरेगी यात्रा यात्रा गुजरात के पोरबंदर से शुरू होकर अहमदाबाद पहुंचेगी। अहमदाबाद के बाद क्या रूट होगा इसकी तीन संभावनाओं पर विचार चल रहा है। यात्रा को वहां से राजस्थान और फिर मध्यप्रदेश में किस तरह से प्रवेश करवाया जाए। पिछली बार दक्षिण से उत्तर (केरल से कश्मीर) की यात्रा में भी राजस्थान शामिल था। तब यह यात्रा झालावाड़ से प्रवेश कर अलवर के रास्ते हरियाणा में चली गई थी।इस बार राजस्थान के दक्षिणी जिलों को रूट मैप में शामिल किया जा सकता है। इनमें दक्षिण राजस्थान के सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के चित्तौडग़ढ़, प्रतापगढ़, झालावाड़, बारां आदि को शामिल किए जाने की ज्यादा संभावना है। जानकारी के मुताबिक तीन संभावित रूट बनाए गए हैं, ये क्या होंगे, आइए जानते हैं।अहमदाबाद के बाद यात्रा उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, कोटा, झालावाड़ होते हुए मध्यप्रदेश में प्रवेश करेगी और फिर छत्तीसगढ़ जाएगी। इन तीनों राज्यों में विधानसभा के चुनाव दिसंबर में संभावित हैं। छत्तीसगढ़ से यात्रा पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, असम होते हुए अरुणाचल प्रदेश तक जाएगी।
इस में यात्रा अहमदाबाद से गोधरा, दाहोद के रास्ते से राजस्थान में एंटर होगी और बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडग़ढ़ होते हुए मध्यप्रदेश में नीमच-मंदसौर के माध्यम से प्रवेश करेगी। फिर मध्यप्रदेश इन्दौर या भोपाल में से किसी एक शहर को छूकर छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़ेगी। छत्तीसगढ़ से यात्रा पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, असम होते हुए अरुणाचल प्रदेश तक जाएगी। पोरबंदर से सीधे माउंट आबू (सिरोही) जिले में प्रवेश कर उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा के इलाकों से होते हुए रतलाम (मध्यप्रदेश) में यात्रा प्रवेश कर सकती है। राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा की मानें तो इस बार यात्रा छोटी होगी। इसलिए तीनों में से जिस भी सबसे छोटे रूट के माध्यम से राजस्थान को शामिल करना संभव होगा वो अपनाया जाएगा। आदिवासियों के माध्यम से राजस्थान को छूना चाहते हैं राहुल राहुल गांधी ने अपनी पिछली यात्रा में भी आदिवासियों और पिछड़ों की समस्याओं और राजनीतिक आकांक्षाओं पर बहुत बात की थी। वे अक्सर कहते थे कि आदिवासियों को भाजपा वनवासी (वन में रहने वाले) कहती है, जबकि वे उस स्थान के मूल निवासी (आदिकाल से रहने वाले) होते हैं। ऐसे में राहुल गांधी राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाकों जैसे सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, बारां आदि को छूना चाहते हैं, ताकि वे राजस्थान की राजनीति पर अपनी बात भी कह सकें और आदिवासियों के प्रति अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता भी दोहरा सकें। राजस्थान में उदयपुर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, अलवर, टोंक-सवाईमाधोपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, चित्तौडग़ढ़-प्रतापगढ़, कोटा-बूंदी, धौलपुर-करौली, जालोर-सिरोही जैसे 10 लोकसभा क्षेत्रों में आदिवासी पहले, दूसरे या तीसरे नंबर के सबसे बड़े मतदाता हैं। ऐसे ही करीब 60 विधानसभा सीटों पर भी आदिवासी प्रभावशाली हैं। ऐसे में राहुल गांधी इन सीटों को इस यात्रा के जरिए सीधे प्रभावित कर सकते हैं। राजस्थान में कांग्रेस 2014 और 2019 में इन सीटों सहित सभी 25 लोकसभा सीटें हार चुकी हैं। ऐसा राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ था। अब राहुल गांधी चाहते हैं कि राजस्थान में 2024 की यह तस्वीर बदल जाए।
