

जयपुर। राजस्थान पुलिस का सीआई केपी सिंह को महिला से दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया। कल देर रात के पी सिंह को करणी विहार थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया। कंवर पाल सिंह के खिलाफ वर्ष 2020 में उसी की परिचित महिला ने मारपीट और दुष्कर्म का केस करणी विहार थाने में दर्ज कराया था। उस दौरान आरोपी सी आई झुंझुनूं में मानव तस्करी विरोधी यूनिट के प्रभारी के पद पर तैनात था। महिला की शिकायत पर दर्ज हुए मुकदमें की जांच पहले सीआई ने की फिर एडिशनल डीसीपी वैस्ट बजरंग सिंह को दी गई थी। उस दौरान पुलिस ने आरोपी के पी सिंह को गिरफ्तार नहीं किया था। आरोपी हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली। पीडि़ता को न्याय नहीं मिला तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई को सीआई की गिरफ्तारी पर रोक हटाने के आदेश देते हुए पुलिस को आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने के आदेश दिए। जिस पर कल रात केपीसिंह की गिरफ्तारी हुई।
आरोपी की पत्नी ने दबाब बनाने के लिए पीडि़ता के पति पर किया केस
पीडि़ता पर दबाव बनाने के लिए के पी सिंह ने अपनी पत्नी से पीडि़ता के पति के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज कराया। झोटवाड़ा थाना पुलिस ने उस दौरान मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान किया। लेकिन पुलिस जांच में ऐसा कुछ प्रमाणित नहीं हुआ। जिसके बाद झोटवाड़ा थाना पुलिस ने जांच के बाद एफ आर लगा दी।
अग्रिम जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
दु्ष्कर्म के आरोपी सीआई ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत लगा रखी थी। जिस पर पीडि़ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने13जुलाई को अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया। और के पी सिंह को दो सप्ताह में सरेंडर करने के आदेश दिए। सरेंडर नहीं करने पर जयपुर पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के आदेश दिए।
ये थे केपी सिंह पर आरोप
पीडि़ता ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी के लिए यह याचिका लगाई। जिस में पीडि़ता ने बताया कि उसकी बहन का झुंझुनूं महिला थाने में एक मामला दर्ज हो रखा था। जिस के सभी दस्तावेज तत्कालीन सीआई के पी सिंह के पास थे। पीडि़ता ने जब सी आई से दस्तावेज मांग तो उस ने पीडि़ता को जयपुर बुलाया। यहां पर पेय पदार्थ में आरोपी ने उसे नशीला पदार्थ पिलाया। जिसके बाद आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी फोटो और वीडियो ली। पीडि़ता ने मुकदमा दर्ज कराया लेकिन आरोपी ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली। साथ ही वह उसे बार-बार मुकदमा वापस लेने का भी दबाव बना रहा है।
