डिजिटल दौर में सोशल मीडिया जितना उपयोगी बनता जा रहा है, उतनी ही तेजी से उस पर आपत्तिजनक और गलत कंटेंट भी फैल रहा है। इसका सबसे बड़ा असर महिलाओं, परिवारों और खासतौर पर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है। कब और किस रूप में अश्लील या भद्दा कंटेंट सामने आ जाए, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है। इसी बढ़ते खतरे को देखते हुए अब इस पर नियंत्रण को जरूरी माना जा रहा है।
हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक होनी चाहिए। कोर्ट ने माना कि कम उम्र के बच्चे इस तरह के कंटेंट से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और इससे उनके मानसिक व सामाजिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने सभी सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स को सख्त चेतावनी जारी की है। सरकार ने साफ कहा है कि अश्लील, भद्दे, पोर्नोग्राफिक, बच्चों से जुड़े यौन शोषण वाले और गैर-कानूनी कंटेंट को तुरंत हटाया जाए। यदि कंपनियां समय रहते कार्रवाई नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जारी इस एडवाइजरी में इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स को आईटी एक्ट के तहत अपने कंप्लायंस फ्रेमवर्क की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार का कहना है कि कई प्लेटफॉर्म ऐसे कंटेंट की पहचान और उसे हटाने में ढिलाई बरत रहे हैं, जो कानून का उल्लंघन है।
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सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नियमों का पालन न करने पर सिर्फ कंपनियों ही नहीं, बल्कि संबंधित प्लेटफॉर्म और जरूरत पड़ने पर यूजर्स के खिलाफ भी केस दर्ज किया जा सकता है। उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सोशल मीडिया पर कोई भी व्यक्ति ऐसा कंटेंट न बनाए या साझा न करे, जो अश्लील हो, बच्चों के लिए नुकसानदायक हो या किसी भी तरह से कानून के खिलाफ जाता हो।

