Save Aravalli: अवैध खनन के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत
जयपुर। अरावली पर्वतमाला में लगातार बढ़ रहे अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार ने सोमवार से बड़ा संयुक्त अभियान शुरू कर दिया है। यह अभियान प्रदेश के 20 जिलों में एक साथ चलाया जा रहा है और 15 जनवरी तक जारी रहेगा। सरकार का साफ संदेश है कि अरावली क्षेत्र में अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जिला स्तर पर गठित हुई विशेष जांच टीमें
खान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने जानकारी दी कि अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। इन टीमों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे क्षेत्र में लगातार निगरानी रखें और अवैध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करें।
एसआईटी में खान विभाग के खनि अभियंता, सतर्कता खनिज अभियंता, सहायक खनिज अभियंता, भू-वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारी शामिल किए गए हैं।
कई विभागों की संयुक्त कार्रवाई
अभियान को मजबूत बनाने के लिए इसे बहु-विभागीय रूप दिया गया है।
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राजस्व विभाग से उपखंड स्तर के अधिकारी
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पुलिस विभाग से उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी
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परिवहन विभाग से निरीक्षक या उपनिरीक्षक
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वन विभाग से रेंजर स्तर के अधिकारी
इसके अलावा खनिज रक्षक और बॉर्डर होमगार्ड के जवान भी अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कानून व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल
सरकार ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि अभियान के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाए। अवैध खनन, खनिज के गैरकानूनी परिवहन और अवैध भंडारण पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी, साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
इन 20 जिलों में चलेगा अभियान
यह विशेष अभियान अरावली क्षेत्र से जुड़े निम्न जिलों में संचालित किया जा रहा है:
अलवर, खैरथल-तिजारा, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर, दौसा, कोटपूतली-बहरोड़, अजमेर, भीलवाड़ा, ब्यावर, टोंक, कुचामन-डीडवाना, पाली, सिरोही, राजसमंद, उदयपुर, सलूंबर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़।
पर्यावरण संरक्षण पर सरकार का जोर
सरकार का कहना है कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अवैध खनन से न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि भूजल स्तर, वन्यजीव और जैव विविधता पर भी गंभीर असर पड़ता है।

