ग्रामीणों के अनुसार, मोमासर से करीब दो से ढाई किलोमीटर दूर धीरदेसर मार्ग पर एक सोलर प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए सोलर कंपनी ने लगभग 150 बीघा जमीन ली है और उसी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की जा रही है। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि 16 खेजड़ी के कटे हुए पेड़ वहीं पड़े मिले, जबकि 13 पेड़ों को काटकर वहां से उठा लिया गया।
घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। ग्रामीणों की ओर से बीरबल पूनियां, मनीराम सारण, हेमराज जाखड़, लक्ष्मण पूनियां और बाबूलाल पूनियां सहित कई युवाओं ने इस कटाई पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। वन विभाग के सहायक वन संरक्षक सत्यपाल सिंह ने बताया कि सूचना मिलते ही चार सदस्यीय टीम को मौके पर भेजा गया। चूंकि भूमि राजस्व विभाग के अधीन है, इसलिए आगे की कार्रवाई राजस्व विभाग द्वारा की जाएगी।
पश्चिमी राजस्थान में पर्यावरण पर बढ़ता संकट
यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है। पूरे पश्चिमी राजस्थान में खेजड़ी की कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है। सोलर प्लांट के नाम पर जिले भर में हजारों खेजड़ी के पेड़ काटे जा चुके हैं। वर्ष 2025 में ही जिले के जयमलसर और कावनी क्षेत्र में दस हजार से अधिक खेजड़ी के पेड़ कटने के मामले सामने आ चुके हैं।
इसके अलावा छत्तरगढ़, पुगल, बज्जू और खाजूवाला इलाकों में भी बड़ी संख्या में खेजड़ी की कटाई हुई है। लाखूसर में हुई कटाई का मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बना, जिसके बाद बीकानेर शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण प्रेमियों ने लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन किया।
सख्त कानून की मांग, लेकिन कार्रवाई नहीं
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि खेजड़ी राजस्थान का राज्य वृक्ष है और इसकी कटाई पर सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। कई जगह विरोध प्रदर्शन और आंदोलन हुए, लेकिन न तो अब तक प्रभावी कानून बन पाया और न ही खेजड़ी की कटाई पर रोक लग सकी है। लगातार हो रही इस कटाई ने मरुस्थलीय क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।