स्थाई कर्मचारियों के नियुक्त होने के बाद पूर्व नर्सिंग ऑफिसर्स अब बेरोजगार होकर घर बैठे हैं। इस स्थिति के विरोध में यूटीबी नर्सेज के लगभग 54 नर्सिंग ऑफिसर्स ने सुनवाई और उचित समायोजन की मांग को लेकर धरना शुरू किया है।
सूत्रों के अनुसार, ये नर्सिंग ऑफिसर्स पहले पीबीएम अधीक्षक कार्य क्षेत्र में कार्यरत थे। स्थाई वैकेंसी में कर्मचारियों के आने के बाद इन्हें स्टैंडबाय मोड में मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल के अधीन भेज दिया गया। नर्सिंग ऑफिसर्स का आरोप है कि पूर्व प्रिंसिपल डॉ. गुंजन सोनी और नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष की मिलीभगत से 27 नर्सिंग ऑफिसर्स का फर्जी समायोजन किया गया, जबकि 54 अन्य कर्मचारी बेरोजगार रह गए।
धरने पर बैठे नर्सिंग ऑफिसर्स ने बताया कि जब उन्होंने कॉलेज प्रशासन से इस मामले में बात की, तो कहा गया कि सरकार की अनुमति पर केवल 27 कर्मचारियों का समायोजन हुआ। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया नियमों के खिलाफ है और 54 कर्मचारियों को वंचित करना अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी है।
नर्सिंग ऑफिसर्स के मुख्य आरोप:
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फर्जी समायोजन में मिलीभगत के चलते 54 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया।
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प्रशासन ने समायोजन के लिए आवश्यक निर्देश जयपुर से नहीं मांगे, जबकि नियुक्ति के समय नियमों का पालन नहीं किया गया।
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आरोपियों के खिलाफ सभी साक्ष्य एसओजी और संभागीय आयुक्त सहित अन्य जांच एजेंसियों को सौंपे गए, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
नर्सिंग ऑफिसर्स ने चेतावनी दी है कि उनका धरना तीन दिन का सांकेतिक धरना होगा, उसके बाद यदि मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। उनका कहना है कि यह धरना सरकार और प्रशासन की ओर से अनदेखी और अन्यायपूर्ण समायोजन प्रक्रिया के खिलाफ है।
