बीकानेर के विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट मामलों) न्यायालय संख्या-01 ने चेक बाउंस से जुड़े एक महत्वपूर्ण प्रकरण में आरोपित इंद्रचंद लावट निवासी गंगाशहर को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। न्यायाधीश आशीष जयपाल द्वारा सुनाए गए इस फैसले को अदालत ने प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ठोस माना।
मामला कैसे शुरू हुआ
परिवादी मुकेश सोनी, जो पेशे से स्वर्णकारी हैं, ने अदालत में परिवाद दायर करते हुए बताया कि वर्ष 2019 में अभियुक्त इंद्रचंद लावट ने उनसे ज्वेलरी निर्मित कराने के लिए 666 ग्राम सोना लिया था। इसकी कीमत लगभग 23.57 लाख रुपये थी। काफी समय बीतने के बाद भी जब ज्वेलरी तैयार नहीं हुई, तो अभियुक्त ने सोना वापस लौटाने में असमर्थता जताई और भुगतान का वादा किया।
पंचायत में दिया चेक, बैंक ने लौटाया
दोनों पक्षों के बीच हुई पंचायत में अभियुक्त ने आंशिक भुगतान के रूप में चार लाख रुपये का चेक दिया। लेकिन जब यह चेक बैंक में प्रस्तुत किया गया, तो ‘फंड्स इनसफिशिएंट’ के आधार पर यह अनादरित हो गया। इसके बाद परिवादी ने अपने अधिवक्ता गोपाल लाल हर्ष के माध्यम से विधिक नोटिस भेजकर भुगतान की मांग की, लेकिन अभियुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की।
अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य रहे निर्णायक
न्यायालय ने मूल चेक, बैंक रिटर्न मेमो, विधिक नोटिस और अन्य दस्तावेजों को विश्वसनीय मानते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि अभियुक्त ने परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 का उल्लंघन किया है। अदालत ने माना कि चेक का अनादरण जानबूझकर भुगतान टालने की मंशा का संकेत देता है।
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सजा और जुर्माने का आदेश
फैसले के अनुसार, अभियुक्त को छह माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही अदालत ने पांच लाख रुपये का दंड लगाया है, जिसे परिवादी को प्रतिकर के रूप में दिया जाएगा। आदेश में उल्लेख है कि यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो अभियुक्त को 30 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
