राजस्थान में स्कूलों के लिए नई ड्रेस नीति, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने की तैयारी
स्कूल ड्रेस को लेकर राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार के प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के बाद अब राज्य के सरकारी और निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं सप्ताह में एक दिन अपनी पारंपरिक स्थानीय वेशभूषा में स्कूल आ सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को आवश्यक प्रक्रियाएं जल्द शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
केंद्र सरकार का उद्देश्य सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाना
यह प्रस्ताव मूल रूप से भारत सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा भेजा गया था। केंद्र का मानना है कि विद्यालयों में स्थानीय पहनावे को प्रोत्साहित करने से विद्यार्थियों में अपनी लोक संस्कृति, परंपराओं और क्षेत्रीय पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया कि छात्र और स्टाफ स्थानीय परिधान पहनेंगे, लेकिन गहनों या आभूषणों का उपयोग नहीं किया जाएगा।
हथकरघा वस्त्रों को बढ़ावा देने की भी सिफारिश
केंद्र सरकार ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि सप्ताह में एक दिन स्कूल और कॉलेज अपनी यूनिफॉर्म में हथकरघा वस्त्र शामिल करें। इसके पीछे उद्देश्य भारत की पारंपरिक कपड़ा विरासत को शिक्षा जगत से जोड़ना और स्थानीय बुनकरों को समर्थन देना है। सरकार ने राज्यों को इस पहल को आगे बढ़ाने और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने की सलाह दी है।
राज्य सरकार ने कही सकारात्मक पहल
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने केंद्र सरकार के इस सुझाव को स्वागतयोग्य कदम बताया और कहा कि यह नई व्यवस्था न केवल विद्यार्थियों में सांस्कृतिक गौरव की भावना बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय कला और परंपरा को भी मजबूती देगी। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि नीति को जल्द प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक तैयारी शुरू की जाए।
