जयपुर। राजस्थान में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) कार्य के बढ़ते दबाव ने एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में बीएलओ और शिक्षक के रूप में कार्यरत 48 वर्षीय मुकेशचंद जांगिड़ ने रविवार सुबह बिंदायका रेलवे फाटक के पास आत्महत्या कर ली। उनकी जेब से मिला सुसाइड नोट प्रशासनिक दबाव, धमकियों और कार्यकालीन तनाव की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
परिजन बिंदायका थाने पहुंचे और थानाधिकारी विनोद कुमार वर्मा से मिलकर निष्पक्ष जांच तथा संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की।
सुसाइड नोट में सिस्टम पर तीखे आरोप
मुकेशचंद द्वारा लिखे गए नोट में साफ तौर पर उल्लेख था कि SIR कार्य का अत्यधिक दबाव, नींद न आने की स्थिति और बार-बार निलंबन की धमकियों ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया। उन्होंने सुपरवाइजर सीताराम बलाई पर सहयोग न करने और भय पैदा करने के आरोप लगाए। यह नोट प्रशासनिक स्तर पर अपनाई जा रही कार्यशैली पर कई प्रश्न चिह्न छोड़ गया है।
पुलिस जांच जारी
जांच अधिकारी एसआई गोवर्धन सिंह ने बताया कि घटनास्थल का मौका नक्शा तैयार करके प्रमाणिक साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। पुलिस परिजन व सहकर्मियों से बयान लेकर घटनाक्रम की पूरी श्रृंखला को समझने की कोशिश कर रही है।
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शिक्षक संगठनों में गहरा आक्रोश
घटना के तुरंत बाद शिक्षक संघों में तीव्र नाराजगी फैल गई। दूदू और जयपुर में विभिन्न संगठनों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर SIR कार्य में अपनाई जा रही प्रणाली पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक की वैध समय सीमा होने के बावजूद बीएलओ को 15 दिन में पूरा कार्य पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे तनाव बढ़ रहा है।
संगठनों की प्रमुख मांगें
शिक्षक संगठनों ने कई सुधारात्मक सुझाव दिए हैं, जिनमें शामिल हैं:
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बीएलओ केवल ऑफलाइन फॉर्म एकत्र करें।
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ऑनलाइन अपलोड का कार्य तकनीकी स्टाफ—कंप्यूटर अनुदेशक, सूचना सहायक या मंत्रालयिक कर्मचारियों को सौंपा जाए।
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उपखंड अधिकारियों को संवेदनशील व्यवहार और सहयोगात्मक रवैया अपनाने के निर्देश।
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परीक्षा नजदीक होने के कारण बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षकों को पर्याप्त समय मिले।
चौमूं और अन्य जिलों से भी उठी जांच की मांग
राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन सौंपकर कहा कि निलंबन और दंडात्मक कार्रवाइयों का भय फैलाकर कार्य कराया जा रहा है, जिसकी जांच आवश्यक है।
इसी तरह श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ क्षेत्र के बीएलओ भी मानसिक दबाव में आने की बात कह चुके हैं। सोमवार शाम शिक्षक संगठनों ने एसडीएम सुरेश राव को ज्ञापन देकर सहयोगी स्टाफ नियुक्त करने की मांग रखी। एसडीएम ने भरोसा दिलाया कि सहयोगी पहले से तैनात किए जा चुके हैं और किसी को अनावश्यक दबाव नहीं दिया जाएगा।
क्यों बढ़ रहा है मानसिक दबाव?
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पुष्पेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि चुनावी कार्य के नाम पर अचानक बढ़ाया गया दबाव और निलंबन का भय शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
बीएलओ रवि कुमार का कहना है कि दिसंबर में अर्धवार्षिक परीक्षाएं निर्धारित हैं, लेकिन व्यापक SIR जिम्मेदारियों के कारण स्कूलों में पढ़ाई बाधित हो रही है। कई शिक्षकों ने यह भी बताया कि शासन सचिव के आदेशों के बावजूद कई स्कूलों में स्टाफ का बड़ा हिस्सा निर्वाचन कार्य में लगा दिया गया है, जिससे कक्षाओं का संचालन प्रभावित हो रहा है।
