राजस्थान ने वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई से अक्टूबर तक संचालित संतृप्ति अभियान में उल्लेखनीय सफलता हासिल करते हुए वित्तीय समावेशन की दिशा में देशभर में एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया है। राज्य ने 1.28 करोड़ से अधिक पात्र नागरिकों को बैंकिंग, बीमा और पेंशन जैसी प्रमुख सेवाओं से जोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया।
व्यापक अभियान, हर पंचायत तक पहुंच
एक जुलाई से 31 अक्टूबर तक चले इस देशव्यापी अभियान का उद्देश्य था कि कोई भी पात्र व्यक्ति वित्तीय सेवाओं से वंचित न रहे। इसी दिशा में राजस्थान ने 11,232 ग्राम पंचायतों में विशेष शिविर आयोजित किए, जहां जनधन खाता, बीमा योजनाओं और पेंशन योजनाओं का लाभ बड़ी संख्या में लोगों को उपलब्ध कराया गया।
वित्त मंत्रालय की अंतिम प्रगति रिपोर्ट बताती है कि लाभार्थियों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश 1 करोड़ 30 लाख से अधिक नामांकन के साथ पहले स्थान पर रहा। राजस्थान ने 1 करोड़ 28 लाख लाभार्थियों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र प्रदेश क्रमशः तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे।
जनधन से बीमा तक—राजस्थान की मजबूत पकड़
अभियान के दौरान राज्य में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 6.32 लाख नए खाते खोले गए। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 8.43 लाख और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में 17.75 लाख लोगों का नामांकन हुआ।
अटल पेंशन योजना में भी 1.73 लाख से अधिक नए लाभार्थियों को जोड़ा गया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जनधन योजना के 54 लाख से अधिक खातों का पुन: केवाईसी पूरा किया गया।
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विभिन्न योजनाओं के तहत दावों के निपटान में भी राजस्थान सक्रिय रहा। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और जनधन खातों से जुड़े 5,774 दावों का वितरण किया गया, जबकि जीवन ज्योति बीमा योजना और अन्य खातों में कुल 36.79 लाख नामांकन दर्ज किए गए।
राज्य सरकार की पहल बनी सफलता का आधार
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर ग्रामीण एवं शहरी सेवा शिविरों तथा जनजातीय गौरव वर्ष से जुड़े कार्यक्रमों ने इस अभियान को मजबूत आधार प्रदान किया। इन शिविरों में गरीब परिवारों, असंगठित श्रमिकों और सामाजिक सुरक्षा से वंचित लोगों को खाता खोलने से लेकर बीमा और पेंशन योजनाओं तक हर सुविधा उपलब्ध कराई गई।
इस व्यापक प्रयास ने न केवल राजस्थान को शीर्ष प्रदर्शनकारी राज्यों में शामिल किया, बल्कि वित्तीय समावेशन को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में राज्य की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की।
