श्रीनगर/फरीदाबाद।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस नेटवर्क से जुड़े दो डॉक्टरों सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है। संयुक्त अभियान में खुफिया ब्यूरो (IB) और फरीदाबाद पुलिस की विशेष टीम भी शामिल थी। कार्रवाई में 350 किलो विस्फोटक सामग्री, एक एके-47 राइफल, 84 जिंदा कारतूस और कई टाइमर डिवाइस बरामद किए गए हैं।
फरीदाबाद से मिला विस्फोटकों का बड़ा जखीरा
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पूछताछ के बाद मिली खुफिया सूचना के आधार पर फरीदाबाद के धौज गांव में छापा मारा। यहां डॉ. मुजम्मिल शकील, जो मूल रूप से पुलवामा के रहने वाले हैं और अल फलाह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के रूप में कार्यरत थे, के किराए के मकान से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने तीन महीने पहले यह मकान किराए पर लिया था।
बरामद विस्फोटक और हथियार
संयुक्त टीम ने मौके से लगभग 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, 14 बैग विस्फोटक सामग्री, एक एके-47 रायफल, 84 जिंदा कारतूस, 5 लीटर रासायनिक घोल, 20 टाइमर और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए। पुलिस का कहना है कि इन सामग्रियों का उपयोग इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) तैयार करने में किया जाना था। बरामद हथियार और विस्फोटकों के पाकिस्तान लिंक की जांच जारी है।
महिला डॉक्टर की भूमिका की भी जांच
पुलिस ने खुलासा किया कि जांच में एक महिला डॉक्टर की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल से बरामद रायफल महिला डॉक्टर की कार (स्विफ्ट डिजायर) से मिली थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कार का इस्तेमाल उसकी जानकारी में किया गया या नहीं।
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गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार सात लोगों की पहचान इस प्रकार हुई है:
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डॉ. मुजम्मिल अहमद गनी उर्फ मुसैब, निवासी कोइल, पुलवामा
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डॉ. आदिल अहमद, निवासी अनंतनाग
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आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ, और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद, तीनों नौगाम, श्रीनगर निवासी
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मौलवी इरफान अहमद, निवासी शोपियां
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जमीर अहमद अहंगर उर्फ मुतलाशा, निवासी वाकुरा, गांदरबल
सभी पर यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
आतंक नेटवर्क का काम करने का तरीका
पुलिस के मुताबिक, यह सफेदपोश आतंकी नेटवर्क था, जो पेशेवरों और छात्रों की आड़ में सक्रिय था। ये लोग धर्मार्थ संगठनों और शैक्षणिक नेटवर्क के जरिए फंड जुटाकर आतंकी गतिविधियों को समर्थन दे रहे थे। आरोपी आतंकियों की भर्ती, कट्टरपंथ फैलाने, हथियार व आईईडी तैयार करने और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का काम कर रहे थे।
जांच में खुल रहे कई बड़े लिंक
सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क के विदेशी फंडिंग स्रोत और पाकिस्तानी संचालकों के साथ इनके संपर्क की जांच कर रही हैं। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGuH) से जुड़ा हुआ था।
