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देश-दुनिया

IBC Amendment: दिवालिया कानून में बड़ा बदलाव, अब रिश्तेदार भी खरीद सकेंगे कंपनी?

editor
editor Published November 7, 2025
Last updated: 2025/11/07 at 2:50 PM
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सरकार ला रही IBC Amendment 2025, दिवालियापन कानून में होने वाले हैं अहम बदलाव

नई दिल्ली — केंद्र सरकार इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में बड़े संशोधन की तैयारी में है। यह बदलाव संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, 2016 में लागू होने के बाद से IBC में छह बार संशोधन हो चुके हैं, लेकिन IBC Amendment 2025 अब तक का सबसे व्यापक सुधार साबित हो सकता है।

Contents
सरकार ला रही IBC Amendment 2025, दिवालियापन कानून में होने वाले हैं अहम बदलावक्या बदल सकता है सेक्शन 29A?ICAI ने दिए सुझाव, समिति कर रही समीक्षासमझिए: IBC का सेक्शन 29A क्यों अहम हैउद्योग जगत का तर्कसुधार से क्या होंगे संभावित फायदे

उद्योग जगत और वित्तीय संस्थानों ने सरकार से आग्रह किया है कि कुछ सख्त प्रावधानों, खासकर सेक्शन 29A से जुड़े नियमों में लचीलापन लाया जाए, ताकि दिवालिया हो चुकी कंपनियों के समाधान में तेजी लाई जा सके।


क्या बदल सकता है सेक्शन 29A?

मौजूदा नियमों के तहत, किसी कंपनी के प्रमोटर, उसके करीबी रिश्तेदार या खून के रिश्तों वाले सदस्य दिवालिया प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि जो व्यक्ति कंपनी को डुबाने के जिम्मेदार रहे हों, वे उसे बाद में सस्ते में फिर से खरीद न लें।

लेकिन उद्योग जगत का कहना है कि यह प्रावधान अत्यधिक कठोर है और इससे “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” पर असर पड़ रहा है। कई बार ऐसे लोग भी समाधान प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं जिनका कंपनी की विफलता से कोई सीधा संबंध नहीं होता, सिर्फ इसलिए कि वे प्रमोटर के रिश्तेदार हैं।

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अब यह मांग उठ रही है कि ब्लड रिलेशन वाले व्यक्तियों को तब तक अयोग्य न माना जाए जब तक यह साबित न हो कि उनका कंपनी के कर्ज या वित्तीय निर्णयों से सीधा जुड़ाव था।


ICAI ने दिए सुझाव, समिति कर रही समीक्षा

भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) ने संसदीय सेलेक्ट कमिटी को कई सिफारिशें सौंपी हैं। यह समिति भाजपा सांसद बजयंत पांडा की अध्यक्षता में IBC Amendment Bill 2025 की समीक्षा कर रही है, जिसे 12 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था।

ICAI का कहना है कि मौजूदा ढांचा समाधान प्रक्रिया को लंबा कर देता है। समिति को दिए सुझावों में यह भी कहा गया है कि पात्र व्यक्तियों की वित्तीय स्थिति और फंड के स्रोत की जांच के बाद ही उन्हें बोली लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए।


समझिए: IBC का सेक्शन 29A क्यों अहम है

सेक्शन 29A यह निर्धारित करता है कि कौन लोग दिवालिया कंपनी के अधिग्रहण या समाधान प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। इसके अंतर्गत—

  • कंपनी के मालिक या प्रमोटर, यदि वे डिफॉल्ट के जिम्मेदार रहे हों।

  • विलफुल डिफॉल्टर घोषित व्यक्ति।

  • SEBI द्वारा प्रतिबंधित व्यक्ति।

  • और संबंधित पक्ष यानी करीबी रिश्तेदार शामिल हैं।

यह प्रावधान 2017 में लागू किया गया था ताकि किसी कंपनी के पूर्व मालिक अपनी ही डूबी कंपनी को कम कीमत पर फिर से न खरीद सकें।


उद्योग जगत का तर्क

उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का कहना है कि कई मामलों में रिश्तेदार स्वयं स्वतंत्र निवेशक या कर्जदाता के रूप में सामने आते हैं। सिर्फ पारिवारिक संबंधों के आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराना व्यावहारिक नहीं है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि—

“अगर किसी व्यक्ति का कंपनी की वित्तीय विफलता में सीधा योगदान नहीं है और उसके फंड का स्रोत पारदर्शी है, तो उसे भागीदारी से रोकना नीतिगत रूप से अनुचित है।”

वहीं, सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि किसी को “रिलेटेड पार्टी” तभी माना जा सकता है जब उसके कंपनी से व्यावसायिक संबंध हों, न कि केवल परिवारिक संबंध।


सुधार से क्या होंगे संभावित फायदे

अगर यह संशोधन पारित होता है, तो इससे—

  • दिवालिया कंपनियों के लिए समाधान प्रक्रिया तेज हो सकती है।

  • निवेशकों और नए प्रबंधन के लिए अधिक विकल्प खुलेंगे।

  • उद्योग जगत में ईज ऑफ रिस्ट्रक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि, कई विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि इन नियमों को नरम करने से “रिलेटेड पार्टी बिडिंग” का जोखिम बढ़ सकता है, इसलिए निगरानी और पारदर्शिता को मजबूत करना आवश्यक होगा।


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editor November 7, 2025
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