बीकानेर और आसपास के हाईवे बने मौत का जाल, हादसों की वजह सिर्फ ड्राइविंग नहीं, व्यवस्था भी जिम्मेदार
बीकानेर। हाल के दिनों में बीकानेर और उसके आसपास के हाइवे पर हुए लगातार सड़क हादसों ने लोगों को गहराई से झकझोर दिया है। सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी चालकों के लाइसेंस निरस्त करने और सख्त जांच के निर्देश दिए हैं। मगर बड़ा सवाल यह है — क्या सिर्फ लाइसेंस रद्द करने से सड़क हादसे रुक जाएंगे?
लॉयन एक्सप्रेस की पड़ताल में यह सामने आया कि सड़क हादसों के पीछे चालक की गलती से कहीं अधिक कारण सड़क ढांचे की कमजोरियां, ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही और परिवहन विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली हैं।
बीकानेर को जोड़ने वाली चार प्रमुख सड़कें, तीन सबसे असुरक्षित
1. जयपुर रोड – बीकानेर से रतनगढ़ तक हादसों का सिलसिला जारी
बीकानेर से निकलने वाली यह मुख्य सड़क बिना डिवाइडर के सीकर तक जाती है। भारी ट्रैफिक, ओवरलोड वाहन और सड़क पर घूमते पशु इस मार्ग को मौत का गलियारा बना चुके हैं। जानकारों का कहना है कि अगर सड़क को सिक्स लेन किया जाए और डिवाइडर लगाया जाए तो हादसों में 40% तक कमी आ सकती है।
2. गंगानगर रोड – बीकानेर से लूणकरणसर तक जानलेवा ओवरटेकिंग
इस मार्ग पर चौड़ाई बेहद कम है और डिवाइडर नहीं होने के कारण ओवरटेक के दौरान अधिकांश हादसे होते हैं। आवारा पशुओं की वजह से रात में खतरा और बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, तारबंदी और डिवाइडर से यह मार्ग सुरक्षित बन सकता है।
3. जोधपुर-नागौर रोड – बीकानेर से नोखा के बीच सबसे अधिक दुर्घटनाएं
इस पुराने ढांचे पर दिन-रात भारी वाहनों की आवाजाही होती है। सड़क चौड़ी नहीं होने के कारण वाहन आमने-सामने भिड़ जाते हैं। बीकानेर से देशनोक के बीच बने कुछ ओवरब्रिजों की बनावट भी बेहद खतरनाक है। इन्हें सुधारना और संकेतक बोर्ड लगाना जरूरी है।
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4. जैसलमेर रोड – सुरक्षित यात्रा का उदाहरण
फोर लेन, मजबूत डिवाइडर और आवारा पशुओं की रोकथाम की बेहतर व्यवस्था के कारण यह मार्ग अपेक्षाकृत सुरक्षित है। पहले यह भी दुर्घटना-प्रवण था, लेकिन संरचनात्मक सुधारों ने इसे बीकानेर का सबसे सुरक्षित हाईवे बना दिया है।
भारतमाला एक्सप्रेस हाइवे पर भी बढ़ रहे हादसे
बीकानेर क्षेत्र से गुजरने वाला भारतमाला एक्सप्रेस हाइवे अपनी बेहतरीन बनावट के बावजूद हादसों का केंद्र बन गया है। सड़क किनारे बने अवैध ढाबे और नशा बेचने वालों की गतिविधियां हादसों का बड़ा कारण हैं। चालक सड़क पर ही वाहन खड़ा कर देते हैं, जिससे रात के समय टक्करें होती हैं।
ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किल
बीकानेर में ट्रैफिक व्यवस्था केवल चालान तक सीमित रह गई है। हादसों के बाद कुछ दिन जांच और कार्रवाई होती है, फिर सब सामान्य हो जाता है। रात को हाइवे नाकों पर ओवरलोड ट्रकों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जिनमें कई वाहनों पर नंबर तक नहीं होते। इसके बावजूद निगरानी का अभाव बना हुआ है।
विशेषज्ञों की राय
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि लाइसेंस निरस्त करना एक जरूरी कदम है, लेकिन यह समस्या का पूरा समाधान नहीं है। जब तक सड़क ढांचे को मजबूत नहीं किया जाता, निगरानी व्यवस्था सख्त नहीं बनती और ट्रैफिक पुलिस को जवाबदेह नहीं किया जाता, तब तक हादसे रुकना मुश्किल है।
