नई दिल्ली:
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनाव प्रचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डिजिटल रूप से संशोधित सामग्री के बढ़ते दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है।
ये दिशा-निर्देश सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और प्रचार प्रतिनिधियों पर लागू होंगे। आयोग ने कहा कि ऐसी सामग्री से मतदाताओं में भ्रम फैलता है और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर असर पड़ता है।
मतदाता को गुमराह करने वाली एआई सामग्री पर रोक
आयोग के अनुसार, तकनीकी रूप से तैयार प्रचार सामग्री वास्तविकता का झूठा चित्र प्रस्तुत करती है। इसे रोकने के लिए आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत नई व्यवस्था लागू की है।
एआई सामग्री पर स्पष्ट लेबल अनिवार्य
अब हर एआई-निर्मित या डिजिटल रूप से बदली गई छवि, वीडियो या ऑडियो पर “AI-Generated” या “Digitally Modified” लिखना जरूरी होगा।
लेबल का आकार और दृश्यता तय
दृश्य सामग्री में लेबल कम से कम 10% हिस्से में दिखेगा।
वीडियो में यह ऊपर की ओर और ऑडियो में शुरुआती 10% समय तक सुनाई देना अनिवार्य होगा।
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निर्माता इकाई का नाम देना जरूरी
एआई सामग्री के मेटाडेटा या कैप्शन में इसे तैयार करने वाले व्यक्ति या संस्था का नाम देना होगा ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके।
3 घंटे में हटानी होगी फर्जी सामग्री
किसी पार्टी या प्रत्याशी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर गलत या एआई-निर्मित सामग्री पाई जाने पर उसे तीन घंटे में हटाना अनिवार्य होगा।
अभिलेख रखना होगा अनिवार्य
राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को अपनी एआई या डिजिटल रूप से संशोधित प्रचार सामग्री का रिकॉर्ड रखना होगा ताकि भविष्य में जांच की जा सके।
भ्रामक प्रचार पर सख्त कार्रवाई
यदि किसी उम्मीदवार या दल ने एआई का उपयोग कर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश की, तो उस पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

