Bikaner News: गोचर विवाद पर राजे से मिले देवीसिंह भाटी, बोले- अफसर कर रहे मनमानी, राजे ने दिया साथ
बीकानेर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुरुवार को अपने तय कार्यक्रम के तहत बीकानेर पहुंचीं, जहां नाल एयरपोर्ट पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस बीच, पश्चिमी राजस्थान के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी ने वसुंधरा राजे से मुलाकात कर गोचर भूमि को बचाने के मुद्दे पर अपनी बात खुलकर रखी।
भाटी ने जताई प्रशासनिक रवैये पर नाराजगी
देवीसिंह भाटी ने राजे को बताया कि बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) बनने के बाद से गोचर भूमि पर संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी योजनाओं के नाम पर पुरखों की छोड़ी हुई गोचर भूमि को खत्म करने पर तुले हुए हैं।
भाटी ने यह भी सवाल उठाया कि अधिकारी आख़िर किस अधिकार से फैसले थोप रहे हैं? उन्होंने कहा, “क्या अफसर यह तय करेंगे कि हमारी परंपराएं और सार्वजनिक हित के क्षेत्र जिंदा रहें या नहीं?”
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वसुंधरा राजे ने दिया भरोसा, बोलीं- “अपन चलकर बात करेंगे”
भाटी की बातों को गंभीरता से सुनते हुए वसुंधरा राजे ने कहा, “मैं जानती हूं आपने इस क्षेत्र के लिए कितनी मेहनत की है। अपन चलेंगे और इस मुद्दे पर विस्तार से बात करेंगे।” राजे का यह बयान उन कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के लिए राहतभरा था जो बीडीए प्लान के खिलाफ लगातार विरोध कर रहे हैं।
पर्यावरण प्रेमियों ने जताई चिंता, भाटी की भूमिका को बताया अहम
मौके पर मौजूद पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी वसुंधरा राजे को बताया कि अफसरों द्वारा यह कहा जा रहा है कि गोचर भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि देवीसिंह भाटी की सक्रियता के कारण ही यह भूमि अब तक बची हुई है।
उन्होंने बीडीए मास्टर प्लान से गोचर भूमि को बाहर करने की मांग की और कहा कि यदि यह प्लान लागू होता है, तो भविष्य में बीकानेर में पशुधन और पारंपरिक चरागाहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
पृष्ठभूमि: गोचर पर क्यों मचा है बवाल?
बीकानेर में गोचर भूमि (पशु चरागाह) को लेकर विवाद तब बढ़ा जब BDA ने अपना मास्टर प्लान जारी किया, जिसमें कुछ गोचर भूमि के शहरी विकास उपयोग की योजना बनाई गई थी। इसके खिलाफ भाटी समेत कई सामाजिक संगठन और स्थानीय निवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं।