CJI गवई पर जूता फेंकने वाला वकील रिहा, बोला– न अफसोस है, न डर
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच के एक सदस्य और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर को सोमवार देर रात हिरासत से बिना कानूनी कार्रवाई के रिहा कर दिया गया। यह घटना तब घटी जब कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी और कथित तौर पर वकील को न्यायालय की टिप्पणी आपत्तिजनक लगी।
रिहा होने के बाद वकील राकेश किशोर ने जो बयान दिया, उसने एक बार फिर न्यायपालिका और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर बहस छेड़ दी है।
जूता फेंकने की कोशिश, लेकिन गिरफ्तारी नहीं
यह पूरी घटना सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान सामने आई। राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया, लेकिन कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत रोक दिया और हिरासत में ले लिया।
- Advertisement -
दिल्ली पुलिस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने वकील के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई, इसलिए उसे लंबी हिरासत में रखने का आधार नहीं था। तीन घंटे की पूछताछ के बाद, सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही उसे सोमवार देर रात छोड़ दिया गया।
“मुझे कोई पछतावा नहीं” – राकेश किशोर
रिहा होने के बाद राकेश किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह मेरी प्रतिक्रिया थी, कोई हमला नहीं। मुझे इस घटना पर कोई पछतावा नहीं है और मैं बिलकुल डरा हुआ नहीं हूं।”
वकील ने आरोप लगाया कि CJI ने सनातन धर्म से जुड़े एक विषय पर दायर याचिका का मजाक उड़ाया था, जो उन्हें असहनीय लगा। किशोर के अनुसार, “मैं नशे में नहीं था, मैं आहत था। CJI ने मूर्ति को सिर वापस लगाने के लिए प्रार्थना करो जैसी टिप्पणी की, जो आपत्तिजनक थी। जब कोई व्यक्ति गंभीर मुद्दा उठाता है, तो सुप्रीम कोर्ट को उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।”
सुरक्षा पर भी उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट जैसी संवेदनशील जगह पर जूता फेंकने की कोशिश के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं। यह घटना दर्शाती है कि कोर्ट की अंदरूनी सुरक्षा में अब भी ऐसे दोष मौजूद हैं, जिनका दुरुपयोग किया जा सकता है। हालांकि, तत्काल कार्रवाई कर पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया।
बार काउंसिल की कड़ी कार्रवाई
हालांकि कोर्ट ने कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया, लेकिन वकील समुदाय ने मामले को गंभीरता से लिया है।
-
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने तुरंत प्रभाव से राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द कर दिया।
-
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत निलंबित कर दिया है।
बार काउंसिल का कहना है कि इस तरह का आचरण पूरे वकील समुदाय की गरिमा के खिलाफ है और इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है।
CJI ने दी संयमित प्रतिक्रिया
इस घटना पर खुद मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कोर्ट में मौजूद सभी वकीलों से कहा, “मैं इससे प्रभावित नहीं हूं। हम अपने काम में लगे रहेंगे और इस घटना से विचलित नहीं होंगे।”
CJI की यह प्रतिक्रिया बताती है कि न्यायपालिका ऐसे प्रयासों से दबने वाली नहीं है और कानून के दायरे में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाती रहेगी।