पलाना में जमीन विवाद गहराया: पूर्व सरपंच पर धोखाधड़ी और हमले का केस दर्ज
बीकानेर, 3 अक्टूबर 2025
बीकानेर जिले के देशनोक क्षेत्र के पलाना गांव में जमीन विवाद को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। पूर्व सरपंच मोहनलाल मेघवाल सहित तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और मारपीट का गंभीर मामला दर्ज किया गया है।
परिवादी सुनील कुमार, जो पलाना का निवासी है, ने देशनोक थाना में दर्ज रिपोर्ट में आरोप लगाया कि पूर्व सरपंच ने 50 हजार रुपये के कर्ज के बहाने उनकी पारिवारिक कृषि भूमि हड़प ली।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
सुनील का कहना है कि उनके पिता आसाराम ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए मोहनलाल मेघवाल से 50 हजार रुपये उधार मांगे थे।
24 सितंबर को मोहनलाल अपने दो साथियों के साथ आसाराम को एक निजी वाहन में बिठाकर बीकानेर ले गया। वहां एक निजी कार्यालय में उनसे खाली कागजों पर हस्ताक्षर और अंगूठा लगवाया गया, और उस वक्त यह कहा गया कि पैसे बाद में दे दिए जाएंगे।
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लेकिन 29 सितंबर को जब आसाराम ने मोहनलाल से पैसे मांगे, तो कथित रूप से रास्ते में रोककर उनके साथ मारपीट की गई। इस हमले में आसाराम का हाथ फ्रैक्चर हो गया और आंख में भी चोटें आईं, जिनका इलाज पीबीएम अस्पताल में कराया गया।
रजिस्ट्री और सत्ता का डर दिखाने का आरोप
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि मोहनलाल ने खुलेआम कहा कि
“जमीन की रजिस्ट्री अब मेरे नाम हो चुकी है, और मेरा बेटा सरपंच है, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
इस कथित बयान से गांव में नाराजगी की लहर फैल गई है। साथ ही, सुनील ने यह भी बताया कि रजिस्ट्री में दो अन्य व्यक्तियों के गवाह के रूप में हस्ताक्षर करवा लिए गए थे, जिनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच शुरू
देशनोक पुलिस थाना में मोहनलाल मेघवाल और उसके दो साथियों के खिलाफ IPC की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 323 (मारपीट), और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
जांच अधिकारी एएसआई हनुमंत सिंह ने पुष्टि की है कि
“मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है और तथ्यों की गहनता से जांच की जा रही है।”
स्थानीय राजनीति पर असर
इस पूरे मामले ने गांव की स्थानीय राजनीति को गरमा दिया है, क्योंकि आरोपी पक्ष का सरपंच पद पर प्रभाव है। ग्रामीणों में चर्चा है कि सत्ता के दुरुपयोग से गरीब परिवारों को डराया-धमकाया जा रहा है।
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?
स्थानीय अधिवक्ता रमेश पारीक का कहना है:
“अगर कोई व्यक्ति दबाव या धोखे से खाली कागज़ों पर हस्ताक्षर करवा ले और बाद में उसका दुरुपयोग कर ले, तो यह आपराधिक मामला बनता है। अदालत में ऐसे मामलों में दस्तावेजों की वैधता पर सवाल उठाए जा सकते हैं।”


