जयपुर।
राजस्थान पुलिस ने निवेश से जुड़े ऑनलाइन धोखाधड़ी मामलों में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए आम जनता के लिए साइबर एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में बताया गया है कि कैसे साइबर अपराधी सोशल मीडिया, नकली वेबसाइट, और डीपफेक वीडियो के माध्यम से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं और लाखों रुपये की ठगी कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि ये ठग कम समय में अधिक लाभ का लालच देकर भरोसा जीतते हैं और फिर धीरे-धीरे मोटी रकम हड़प लेते हैं।
कैसे होता है ऑनलाइन निवेश धोखा?
साइबर क्राइम डीआईजी विकास शर्मा के अनुसार, अपराधी अब केवल टेक्स्ट मैसेज या कॉल तक सीमित नहीं हैं। अब वे व्हाट्सऐप, टेलीग्राम चैनल, सोशल मीडिया विज्ञापनों और फर्जी मोबाइल ऐप्स के जरिए निवेशकों को निशाना बना रहे हैं। उनके झांसे में आकर कई लोग अपनी जमा-पूंजी गँवा चुके हैं।
मुख्य तरीके जिनसे ठगी की जाती है:
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उच्च रिटर्न का लालच – “10 दिन में पैसे डबल”, “हर महीने 25% रिटर्न” जैसी स्कीमों का प्रचार।
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नकली वेबसाइट्स/ऐप्स – नामी कंपनियों की नकल करके फर्जी प्लेटफॉर्म तैयार किए जाते हैं।
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डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल – नामचीन उद्योगपतियों या सेलेब्रिटीज़ के चेहरों और आवाज़ का गलत इस्तेमाल करके भरोसा दिलाना।
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फर्जी अलर्ट और धमकियाँ – “अब निवेश न किया तो मौका चला जाएगा”, “खाता ब्लॉक किया जाएगा” जैसे संदेश।
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छोटी शुरुआत से भरोसा बनाना – पहले मामूली लाभ दिखाकर निवेशक का विश्वास जीतना और फिर मोटा निवेश करवाना।
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लगातार संपर्क बनाए रखना – कॉल्स और मैसेज के ज़रिए निवेशक को ‘गाइड’ करना और भ्रमित करना।
नकली निवेश प्लेटफॉर्म की पहचान कैसे करें?
अगर आप किसी नए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निवेश करने जा रहे हैं, तो इन संकेतों से सतर्क हो जाएं:
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आपकी स्क्रीन पर लाभ की राशि असामान्य रूप से तेजी से बढ़ती नजर आएगी, लेकिन निकासी संभव नहीं होगी।
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ऐप में दिखाई गई ट्रांजैक्शन लिस्ट और ग्राफ्स नकली हो सकते हैं; अक्सर ट्रांजैक्शन आईडी दोहराई जाती है।
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वेबसाइट पर कंपनी का कोई वैध लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन या स्पष्ट संपर्क जानकारी उपलब्ध नहीं होती।
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“अभी जमा करें” या “सीमित समय का ऑफर” जैसे विज्ञापन बार-बार दिखाई देते हैं।
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ग्राहक सेवा नंबर या ईमेल से संपर्क करना मुश्किल होता है, या कोई उत्तर नहीं मिलता।
यदि कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आए तो क्या करें?
डीआईजी शर्मा ने बताया कि यदि किसी भारतीय नंबर से संपर्क किया जाए, तो उस नंबर पर सामान्य कॉल करके जांच करें। अगर कॉल नहीं लगता, बार-बार स्विच ऑफ आता है या नंबर असामान्य व्यवहार करता है, तो वह साइबर अपराधी का नंबर हो सकता है।
नागरिकों के लिए सुझाव:
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अनजान लिंक या ऐप पर कभी निवेश न करें।
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केवल सरकारी या रजिस्टर्ड संस्थानों की वेबसाइट और ऐप का उपयोग करें।
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किसी भी स्कीम में पैसा लगाने से पहले परिवार या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।
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किसी भी संदेहास्पद ऐप, वेबसाइट या कॉल से बातचीत के स्क्रीनशॉट, कॉल लॉग, पेमेंट डिटेल्स सुरक्षित रखें।
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जल्द अमीर बनने की स्कीमों से बचें, क्योंकि वे आमतौर पर ठगी होती हैं।
क्या करें अगर आप ठगी का शिकार हो जाएं?
यदि आप किसी ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो तुरंत निम्न संसाधनों के माध्यम से रिपोर्ट करें:
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साइबर हेल्पलाइन नंबर: 1930
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साइबर डेस्क नंबर: 92560-01930 / 925751-10100
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ऑनलाइन रिपोर्टिंग पोर्टल: cybercrime.gov.in
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निकटतम साइबर थाना या पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।



