DUSU चुनाव 2025 में ABVP का परचम, आर्यन मान बने अध्यक्ष, तीन सीटों पर बड़ी जीत
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के 2025 चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने एक बार फिर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए तीन प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है। इस चुनाव में ABVP के उम्मीदवार आर्यन मान ने भारी मतों से अध्यक्ष पद अपने नाम किया। इसके साथ ही संगठन ने सचिव और संयुक्त सचिव के पदों पर भी कब्जा जमाया।
चुनाव परिणाम: ABVP को बड़ी सफलता, NSUI को अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा
अध्यक्ष पद के लिए हुए मुकाबले में ABVP के आर्यन मान ने कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI के प्रत्याशी को कड़े संघर्ष के बाद हराया। वहीं उपाध्यक्ष पद पर NSUI ने अपनी पकड़ बरकरार रखी और रुचि चौधरी ने यह सीट जीती। इसके अलावा, सचिव पद पर विशाल पांडे और संयुक्त सचिव पद पर शिवानी चौहान ने जीत दर्ज कर ABVP को बढ़त दिलाई।
ABVP की वापसी और छात्रों का रुझान
DUSU चुनाव को अक्सर देश की छात्र राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जाता है। इस बार के नतीजे यह संकेत देते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों में ABVP के प्रति फिर से रुझान बढ़ा है, खासकर राष्ट्रीय मुद्दों, कैंपस विकास और सुरक्षा जैसे विषयों को लेकर संगठन के रुख को सराहा गया।
मतदान और वोटिंग प्रतिशत
इस वर्ष DUSU चुनावों में छात्रों का उत्साह देखने लायक था। कुल मतदान 41.2% दर्ज किया गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर माना जा रहा है। मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही और किसी भी बड़े विवाद की सूचना नहीं मिली।
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नेताओं की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति
जीत के बाद ABVP नेताओं ने इसे छात्रों के विश्वास की जीत बताया। आर्यन मान ने कहा, “यह जीत दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की उम्मीदों की जीत है। हम कैंपस को सुरक्षित, समावेशी और विकासशील बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” वहीं NSUI ने परिणामों को स्वीकार करते हुए कहा कि वे भविष्य की रणनीति को और बेहतर बनाएंगे।
DUSU चुनाव के नतीजे (2025)
पद | विजेता उम्मीदवार | संगठन |
---|---|---|
अध्यक्ष (President) | आर्यन मान | ABVP |
उपाध्यक्ष (Vice President) | रुचि चौधरी | NSUI |
सचिव (Secretary) | विशाल पांडे | ABVP |
संयुक्त सचिव (Joint Secretary) | शिवानी चौहान | ABVP |
निष्कर्ष
DUSU चुनाव 2025 में ABVP की सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों के मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहने और स्पष्ट विचारधारा के कारण संगठन को फिर से मजबूत जनसमर्थन मिला है। इन चुनावों के नतीजे आने वाले समय में अन्य विश्वविद्यालयों की छात्र राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं।