ईवीएम विवाद: सुप्रीम कोर्ट में खुली मशीन, पलटा नतीजा, विपक्ष ने बीजेपी पर उठाए सवाल
हरियाणा के पानीपत ज़िले के बुआना लाखू गांव में सरपंच पद को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पहली बार ईवीएम (Electronic Voting Machine) खोली गई और उसकी निगरानी में रजिस्टार की देखरेख में वोटों की गिनती हुई। इस प्रक्रिया में पहले हार चुका उम्मीदवार मोहित कुमार विजयी घोषित हुआ, जिससे पहले घोषित नतीजे पूरी तरह पलट गए।
क्या है पूरा मामला
बुआना लाखू गांव में 2 नवंबर 2022 को पंचायत चुनाव हुआ था, जिसमें कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया गया। हालांकि, मोहित कुमार ने चुनाव परिणाम को चुनाव न्यायाधिकरण में चुनौती दी, जहां एक बूथ पर पुनर्मतगणना का आधार पाया गया। इसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उस निर्णय को निरस्त कर दिया, लेकिन मोहित कुमार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ईवीएम और संबंधित चुनाव रिकॉर्ड को तलब किया और कोर्ट परिसर में वीडियोग्राफी के साथ दोबारा गिनती करवाई गई। इसके बाद मोहित कुमार को वास्तविक विजेता घोषित किया गया।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज, बीजेपी पर विपक्ष का हमला
ईवीएम से जुड़ी इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं।
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तेजस्वी यादव ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “एक बूथ की ईवीएम में ही इतना फर्जीवाड़ा, सोचिए बाकी का क्या हाल होगा। तीन साल तक हारने वाले को सत्ता सौंप दी गई। यह लोकतंत्र नहीं, धोखा है।”
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव और अन्य चुनावों में भी इसी तरह की धांधलियां हुईं। साथ ही कहा कि बीजेपी सरकार ने चुनावी वीडियो रिकॉर्डिंग से जुड़े नियमों में बदलाव कर 45 दिन बाद रिकॉर्डिंग हटाने की छूट दे दी, जिससे कोर्ट में कोई सबूत पेश न किया जा सके।
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कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने भी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “खेल हो गया! सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से दोबारा मतगणना करवाई और चुनाव परिणाम ही पलट गया।”
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सुप्रिया श्रीनेत ने इसे “ग़जब धांधली” बताया और पूछा कि जब एक ग्राम पंचायत के चुनाव में यह हाल है, तो बड़े स्तर पर कितनी गड़बड़ियां हो सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का संदेश: चुनावी पारदर्शिता सर्वोपरि
इस घटनाक्रम से सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता की मंशा सर्वोपरि है और यदि कहीं भी संदेह हो, तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह मामला ईवीएम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर एक बार फिर से सवाल खड़ा करता है, जिसे लेकर विपक्ष लंबे समय से मुद्दा उठाता रहा है।
निष्कर्ष
हालांकि यह मामला एक ग्राम पंचायत का था, लेकिन इससे उठे सवाल अब राष्ट्रीय चुनाव प्रक्रिया पर बहस को तेज कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने न सिर्फ न्याय को सुनिश्चित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि ईवीएम से जुड़े विवादों को गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत है। आने वाले चुनावों में यह मामला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।