नई दिल्ली:
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज संक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने नागरिक प्रशासन और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाए और उन्हें स्थायी रूप से आश्रय गृहों में रखा जाए। अदालत ने साफ कहा कि नसबंदी के बाद भी कुत्तों को सड़कों या कॉलोनियों में वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
मुख्य निर्देश
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- एक सप्ताह के भीतर हेल्पलाइन शुरू की जाए, जिस पर लोग कुत्तों के काटने की घटनाओं की रिपोर्ट कर सकें।
- शिकायत मिलने के 4 घंटे के भीतर कार्रवाई हो।
- आवारा कुत्तों के खिलाफ अभियान खासकर प्रभावित क्षेत्रों में चलाया जाए।
- कार्रवाई में अड़ंगा डालने वाले व्यक्ति या संगठन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- दैनिक आधार पर कुत्तों को पकड़ने का रिकॉर्ड रखा जाए और कोई भी कुत्ता वापस न छोड़ा जाए।
- रेबीज वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- आश्रय स्थलों में पर्याप्त स्टाफ तैनात हो जो नसबंदी और संक्रमण रोकने का काम करे।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि “एक भी आवारा कुत्ता किसी इलाके या बाहरी क्षेत्र में घूमते हुए नहीं दिखना चाहिए। नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस उसी जगह छोड़ना अव्यवहारिक और खतरनाक है।”
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत से आग्रह किया कि इस मामले में कड़े निर्देश दिए जाएं, क्योंकि नसबंदी से केवल संख्या घटने की गति रुकती है, लेकिन रेबीज का खतरा बरकरार रहता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी और अब स्थानीय निकायों से आठ सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने चेतावनी दी है कि लापरवाही होने पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।